हर तरफ मस्ती भरा हर वृद्ध हो हर बाल हो
रंग से पीला-गुलाबी हर स्वजन का गाल हो
रह न जाए कोई भी माधुर्य के मधु - भाव से
हाथ में पिचकारियाँ हों , रंग और गुलाल हो
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(1)
पिचकारी जितनी भरी ,उतनी छोड़े रंग
धार किसी की दूर तक ,रह जाते सब दंग
रह जाते सब दंग , किसी ने गाढ़ा पोता
रहता रंग अनूप , न हल्का किंचित होता
कहते रवि कविराय ,खेल लो होली प्यारी
दो दिन का त्यौहार ,रंग दो दिन पिचकारी
(2)
राधा जी हैं खेलतीं , होली कान्हा संग
दिव्य अलौकिक दृश्य यह ,यह परिदृश्य अनंग
यह परिदृश्य अनंग , रंग पिचकारी वाला
दिखता पीत गुलाल ,न जाने किसने डाला
कहते रवि कविराय, हटी युग-युग की बाधा
मिले प्राण से प्राण , श्याम से मिलतीं राधा
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(1)
योगी-मोदी का जमा ,ऐसा बढ़िया रंग
सभी विपक्षी रह गए ,देख-देख कर दंग
(2)
बुलडोजर बाबा हुए ,बाइस के अवतार
अगले अब सौ साल तक ,इनकी ही सरकार
(3)
राहुल बाबा हो गए ,पूरे अंतर्ध्यान
कांग्रेस का ढूँढ़ते ,सब जन नाम-निशान
(4)
हुई प्रियंका वाड्रा ,ऐसे बंटाधार
दो की संख्या रह गई ,छोटा शुभ परिवार
(5)
मायावती प्रसन्न हैं ,आया तो है एक
यूपी में अच्छी मिली ,यह भी मुश्किल टेक
(6)
ठुकराया तुष्टीकरण ,समझो श्री अखिलेश
समझ अपर्णा ने लिया ,सही-सही परिवेश
(7)
झाड़ू है पंजाब में , नायक हैं श्री मान
दिल्ली में अब क्या लिखा ,किसे भाग्य का ज्ञान
(8)
जीते यूपी चल दिए , मोदी जी गुजरात
इनकी किस्मत में लिखा ,भाषण बस दिन-रात
✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
*मोबाइल 99976 15451*
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