जग बदलूँ संकल्प धरा है
वीरों ने बलिदान वरा है
इस माटी की गन्ध बताती
सच सोने की तरह खरा है।
✍️ अशोक विश्नोई
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
--------------------------
राष्ट्र हित शीश बलिदान जो कर गए
उनको मेरा नमन और शत-शत नमन ।।
हँसते-हँसते लगाया गले मौत को,
वीर बलिदानियों तुमको शत-शत नमन।।
स्वप्न आजाद भारत का मन में पला
चल पड़ा काफिला न रुका सिलसिला
वर्ष पर वर्ष बीते शताब्दी गई
मिटने वालों का बढ़ता गया होंसला
आततायियों के खट्टे किये दांत थे,
वीर महाराणा-सांगा को शत-शत नमन।।
कितनी वीरांगनाएं समर में लड़ी,
भाल ऊँचा किए आन पर थी अड़ी।
लक्ष्मीबाई का बलिदान भी याद है
पुत्र को बांध कटि में समर में लड़ी
आज आजाद-विस्मिल-भगतसिंह को,
पंच प्यारों को करते हैं शत-शत नमन।।
तुमको है शत-शत नमन ।
✍️ डॉ प्रेमवती उपाध्याय
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
----------------------
देकर अपनी सांस, हमारे
जीवन को महकाया तुमने
सकल गुलामी के बंधन से
सबको मुक्त कराया तुमने।
तोड़ा सब घमंड गोरों का
आज़ादी के दीवानों ने
भरी सभा में करा धमाका
भारत माँ की संतानों ने।
कफन बांधकर निकले सर पे,
प्राणों की परवाह नहीं की,
आज़ादी के इन वीरों ने,
सुख वैभव की चाह नहीं की।
घोर यातनाएं सह कर भी,
भारत माता की जय बोली,
टससे मस न कर सके उनको,
गोरों के हंटर औ गोली।
चूमा फांसी के फंदों को,
राजगुरु, सुखदेव, भगत ने,
वीरों के साहस को झुककर,
नमन किया संपूर्ण जगत ने।
आओ मिलकर सीस झुकाएं,
माँ के बलिदानी बेटों को,
मातृभूमि से दूर रखें सब,
गद्दारों, किस्मत हेटों को।
मंत्र फूंककर देश भक्ति का,
दुनियां को चेताया तुमने,
बड़ा न कोई आजादी से,
जन-जन को समझाया तुमने।
✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
9719275453
------------------------
अमर शहीदों के लिए, सुबह-दोपहर-शाम
नतमस्तक इस देश का, हर पल उन्हें प्रणाम
ऋणी रहेगा उम्रभर, उनका हिन्दुस्तान
किया जिन्होंने देश पर, प्राणों को बलिदान
✍️ योगेन्द्र वर्मा व्योम
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
-------------------------
हँसते हँसते जान भी, अपनी की कुर्बान
राजगुरु, सुखदेव, भगत, थे वो वीर महान
थे वो वीर महान, देश था उनको प्यारा
जिस दिन हुए शहीद, रो पड़ा था जग सारा
कहे 'अर्चना' बात, नमन हम उनको करते
फाँसी ली थी चूम, जिन्होंने हँसते हँसते
-------------------
आज़ादी के दीवानों को, भूल नहीं हम पाते हैं।
सोच सोच कर उस मंजर को,भर- भर आँसू आते हैं।
हँसते हँसते जानजिन्होंने, भारत माँ पर कर डाली,
उन वीरों को श्रद्धा से हम,अपने शीश नवाते हैं।
✍️ डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
-----------------------
दुनियां के हर सुख से बढ़कर,
मुझको प्यारे तुम पापा ।
मेरे असली चंदा-सूरज,
और सितारे तुम पापा ।
ओढ़ तिरंगा घर लौटे हो,
बहुत गर्व से कहता हूॅं।
मिटे वतन पर सीना ताने,
मगर न हारे तुम पापा।।
---------------
लिये गीत कुछ चल पड़े, बाॅंके वीर जवान।
हॅंसते-हॅंसते कर गए, प्राणों का बलिदान।।
******
लगा रही है आज भी, माटी यही पुकार।
खड़ी न होने दीजिये, नफ़रत की दीवार।।
******
चाहे गूंजे आरती, चाहे लगे अज़ान।
मिलकर बोलो प्यार से, हम हैं हिन्दुस्तान।।
✍️ राजीव प्रखर
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
----------------------
फिर से भगत सिंह आओ तुम।
सोते है युवा जगाओ तुम।
अंग्रेजी ज्यों शासन डोला
बारूदी फिर फैंको गोला
अलसाये सिंह उठाओ तुम।
फिर से भगत सिंह आओ तुम।
सेवा को वय मुहताज़ नहीं
बिन त्याग सफल सुकाज नहीं
मक्कारों को समझाओ तुम।
फिर से भगत सिंह आओ तुम।
जब रंगा बसंती चोला था
कपटी सिंहासन डोला था
वो इंकलाब दोहराओ तुम।
फिर से भगत सिंह आओ तुम।
दुश्मन अब नक्कारी का है
विषबेली मक्कारी का है
कैसे भी इसे हटाओ तुम।
फिर से भगत सिंह आओ तुम।
शहादत व्यर्थ न जा पाये
रग रग में खून खौल जाये
हर दिल में भगत जगाओ तुम।
फिर से भगत सिंह आओ तुम।
✍ हेमा तिवारी भट्ट
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
-------------------------
राजगुरु सुखदेव भगत सिंह
आजादी के दीवाने थे ,
हँसते हँसते गए फँदे पर
वे बलिदानी मसताने थे ।
इंकलाब का नारा देकर
वो नयी चेतना लाये थे
देश प्रेम की ज्योत जलाकर
सरदार वही कहलाये थे ।
नाम शिवराम हरि राजगुरू
वेदों और ग्रन्थों के ज्ञाता ,
छापामार युद्ध शैली से
था उनका नजदीकी नाता ।
सुखदेव थापर भगत सिँह ने
संग संग दीक्षा पायी थी ,
लाजपत की हत्या के बदले
साण्डर्स की बलि चढ़ायी थी ।
साहस का पर्याय थे तीनों
भारत माँ न भूल पाएगी
ऐसे शहीदों की कुर्बानी
युग युग तक गायी जाएगी ।
✍️ डॉ रीता सिंह
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
--------------------------
नमन उस मां की ममता को जो बेटा देखकर रोई
बहन बेटी के जज़्बे को नमन जिसने खुशी खोई
कि उस पत्नी के धीरज को नमन साष्टांग है मेरा
कलाई छोड़कर जिसकी शहादत बर्फ में सोई
घाटी से संसद तक पसरा मातम है , हंगामा है
आतंकी कातरता का फिर साक्ष बना पुलवामा है
जिसके शब्द -शब्द को पढ़कर दहक उठे ज्वाला मन में
वीरों ने यूं खून से अपने लिखा शहादत- नामा है
✍️ मोनिका मासूम
-----------------------------
वतन की आन पे तो जान भी क़ुर्बान है यारो।
क़फन गर हो तिरंगे का तो बढता मान है यारो।।
न आने देंगे इसकी शान पर हम आँच कोई भी,
वतन के नाम से ही तो मिली पहचान है यारो।।
रहे ऊँचा जगत में नाम मेरे देश का हर पल,
मिटा दूँ ज़िन्दगी इस पे यही अरमान है यारो।।
नहीं कर पायेगा दुश्मन हमारा बाल भी बाँका,
खुला उसको हमारा आज ये ऐलान है यारो।।
मिटा दे इसकी हस्ती को भला किसमें है दम *ममता* ,
वतन गीता वतन मेरे लिए कुरआन है यारो।।
✍️ डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
---------------------------
जय हिंद दोस्तो है ,अपना तो एक नारा,
ये देश है उसी का ,जो देश पर है वारा।
ग़म की अँधेरी बदली, छायेगी अब न फिर से,
पाया है जान देकर ,आज़ादी का नज़ारा
जीते हैं हम वतन पर, मरते है हम वतन पर
भारत सदा रहेगा प्राणो से हमको प्यारा
दुश्मन खड़ा है हर सू, ललकारता है हमको
माँ भारती ने देखो ,हमको है फिर पुकारा
बाँधा कफन है सर से ,हमने वतन की खातिर,
देकर लहू जिगर का,हमने इसे सँवारा।
मरता है हिंद पर ही ,भारत का हर निवासी,
सदियो तलक रहेगा बस दौर ही हमारा।
है आरज़ू ये मेरी, तेरी ज़मी ही पाऊँ,
सातो जनम ही चाहे, आना पड़े दुबारा।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
-----------------------------------
विजय है तुम्हारी विजय है ।
जो कर्तव्य पथ पर चलें पग संभल कर
सफलता निसंदेह तय है ।।
विजय है तुम्हारी विजय है।।
नहीं रोक पाए नहीं तुम्हें
प्रात और रात
बरसात हिमपात भारी ।।
अलखनाद जब
हो गया मन के भीतर,
उठा मन में उत्पात भारी ।।
पुकारा हिमालय शिवालय ने तुमको
कहां कोई त्यौहार देखा ,
न देखा सिसकता हुआ
मां का आंचल
न राखी भरा प्यार देखा,
चले कंटको को
पुआला समझकर
न मुड़ करके
फिर द्वार देखा ।।
तड़पती रही खनखनाने को चूड़ी न
भार्या का श्रृंगार देखा
अटल हो गई जीत की लालसा जब
वही दुश्मनों की प्रलय है
विजय है तुम्हारी विजय है।।
विजय है तुम्हारी विजय है।
✍️ निवेदिता सक्सेना
मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
-----------------------------------
भगत सिंह की गर्जना से
अंग्रेजों का सिंहासन डोला था,
जब हिन्द के वीर सपूतों ने
भारत माँ की जय बोला था।
लाला लाजपत का लहू देख
खून सुखदेव का भी खौला था,
जॉन सॉन्डर्स को धूल चटाने
निर्भीक, बहादुर ने धावा बोला था।
जश्न शहादत चुनी बाँकुरों ने
न ओढ़ा माफ़ी का चौला था
राजगुरु बाइस में लाहौर सेंट्रल जेल
दोनों संग हँसकर फांसी पर झूला था।
✍️ प्रशान्त मिश्र
राम गंगा विहार, मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत
हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएंबहुत ही उम्दा कार्य कर रहे हैं अभिनंदन 🌷 🌷 🌷 🌷
जवाब देंहटाएं🙏 बहुत बहुत आभार आदरणीय
हटाएंबहुत ही सुंदर काव्यगोष्ठी
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएं