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मैं जैसी हूँ, मुझे वैसा ही रहना।
तुम्हारे प्यार में बदलूँ,न कहना।।
नदी हूँ ,ख़ुद किनारों में बँधी हूँ;
जरूरी हो तो उनको तोड़,बहना।
समर्पण प्रेम का आधार,लेकिन;
मुझे ही क्यों बिखरना और ढहना।
है ये भी शील का ही एक पहलू;
कि हो अन्याय तो हरगिज़ न सहना।
मैं सदियों से दहकती ही रही हूँ;
नहीं बेचारगी में और दहना।
मुझे 'मधु' ताज अपना मान लो तो;
तुम्हें मैं मान लूँगी अपना गहना।
🎤✍️ डॉ. मधु चतुर्वेदी
गजरौला गैस एजेंसी चौपला,गजरौला
जिला अमरोहा 244235
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9837003888
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