साहित्यिक संस्था ‘अक्षरा’ के तत्वावधान में दीनदयाल नगर, मुरादाबाद स्थित साहित्यकार योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’ के आवास पर 9 अगस्त 2013 को एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई जिसमें रायबरेली निवासी वरिष्ठ नवगीतकार डॉ. शिवबहादुर सिंह भदौरिया के आकस्मिक निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों ने भदौरिया जी के निधन को हिन्दी साहित्य-जगत की अपूर्णनीय क्षति बताते हुए कहा कि भदौरिया जी की गीत-कृति ‘पुरवा जो डोल गई’ हिन्दी साहित्य जगत में अत्यधिक चर्चित रही और उनकी अन्य गीत-कृतियों-‘शिंजनी’, ‘नदी का बहना मुझमें हो’, ‘लो इतना जो गाया’, ‘दर्द लौट आया’, ‘माध्यम और भी हैं’ तथा ‘गहरे पानी पैठ’ की साहित्य जगत द्वारा पर्याप्त सराहना की गई। गीत-नवगीत की सर्वाधिक प्रतिष्ठित पुस्तकों नवगीत दशक-दो तथा नवगीत अर्द्धशती में सम्मलित भदौरिया जी के गीत वास्तविकता के धरातल पर बड़ी ही सहजता से बतियाते हैं, उनके गीतों में विम्ब-विधान और शिल्प इतने प्रभावशाली ढंग से समाविष्ट हैं कि मिटटी की खुशबू से पाठक और श्रोता दोनों ही सराबोर हो जाते हैं।
इस अवसर पर उपस्थित साहित्यकारों सर्वश्री माहेश्वर तिवारी, ब्रजभूषण सिंह गौतम ‘अनुराग’, योगेन्द्र वर्मा ‘व्योम’, आनन्द कुमार ‘गौरव’, डॉ. अजय ‘अनुपम’, डॉ. कृष्णकुमार ‘नाज़’, मनोज ‘मनु’, डॉ. अवनीश सिंह चौहान, अंकित गुप्ता ‘अंक’, ओमकार सिंह ‘ओंकार’, सतीश ‘सार्थक’ आदि ने दो मिनट का मौन रखकर श्री भदौरिया को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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