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ऊँघती सी याद की दहलीज पर टिक शाम,
दर्द के मन्त्र बाँचे!
क्योँ अचानक नेह ने करवट बदल कर।
तोड़ डालीं वर्जनायें सब मचल कर।।
सुप्त मन के अतल में विस्मृत हुआ सा नाम,
दर्द के मन्त्र बाँचे!
भावनाओं ने भुला दीं वंचनायें।
कामना विधि से करे कुछ मंत्रणायें।
आस ऐसी बावरी है छोड़ कर हर काम,
दर्द के मन्त्र बाँचे!
है उदित विश्वास का नूतन सवेरा।
क्योँ इसे घेरे कुशंका का अंधेरा।।
क्यों व्यथा गहरी बनाये फिर हृदय को धाम,
दर्द के मन्त्र बाँचे!
🎤✍️ डॉ. मधु चतुर्वेदी
गजरौला गैस एजेंसी चौपला,गजरौला
जिला अमरोहा 244235
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9837003888
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