यह सुनकर विशाल का दिल बैठ गया और मिन्नतें करने लगा ....परंतु मकान मालकिन ने जैसे दरवाजा न खोलने की कसम खा रखी हो..और बड़बड़ाती हुई अंदर चली गई ।
विशाल मेडिकल का स्टूडेंट है। इस समय देश में कोरोना महामारी फैलने के कारण उसकी ड्यूटी कोरोना मरीजों की देखभाल के लिए लगा दी गयी है जिसके कारण मकान मालकिन बेहद डर गयी है , उसे लग रहा है कि विशाल के द्वारा बीमारी उसके घर में प्रवेश कर जाएगी और वह भी संक्रमित हो जाएगी ।
थका -हारा ,भूखा -प्यासा विशाल दरवाजे पर ही बैठ गया और उसकी आँखो से आंसू टपकने लगे ... रोते -रोते उसे कब नींद आ गई पता ही ना चला ।...सुबह के 4:00 बजे जब दरवाजे की घंटी बजी तब उसकी आंख खुली तो देखा दरवाजे पर एक लड़का घंटी बजा रहा है ...घंटी की आवाज सुनकर मकान मालकिन बड़बड़ाती हुई दरवाजा खोलने आई और दरवाजा खोलते ही चिल्लाते हुए बोली ... तू गया नहीं अभी तक ... जा यहां से....उधर से आवाज आई मम्मी मैं हूं आपका बेटा रोहित... आवाज सुनते ही उसकी आंखें खुली की खुली रह गई उसने आश्चर्यचकित होकर पूछा बेटा रोहित ....तू यहां कैसे तू ...तो लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में .......पढ़ाई कर रहा था ...दुखी होते हुए रोहित ने कहा - माँ , वहां मैने डॉक्टरों के साथ मिलकर कोरोना वायरस से संक्रमित बीमारों की सेवा करनी शुरू कर दी थी। संक्रमण फैलने के डर से मकान मालिक ने मुझे अपने घर से निकाल दिया और मुझे घर आना पड़ा ।यह सुनकर उसके होश उड़ गए और वह सोचने लगी कि मैं भी तो यही करने जा रही थी।
✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद
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