मंगलवार, 8 सितंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ---पश्चाताप


     जब मंच से स्वाति का नाम पुकारा गया तो पूरा  हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से भर गया। यह सब देख कर रश्मि की आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।.... आज उसके जीवन की तपस्या पूरी हुई । आज उसकी बेटी ने   उत्तर प्रदेश  हाईस्कूल बोर्ड  परीक्षा की मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। जिसके कारण आज उसे जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित किया जा रहा है।....उसने अपने विद्यालय के साथ- साथ अपने जिले का नाम भी रोशन किया है ।... जिलाधिकारी ने स्वाति  को गोल्ड मेडल पहनाया और शील्ड दी। जिसे देखते - देखते रश्मि अपने अतीत में खो गई।....... रश्मि अपने समय की प्रतिभाशाली छात्रा रही थी।.... वह हर कक्षा में प्रथम आती थी और उसे भी अनेकों बार गोल्ड मेडल और शील्ड प्राप्त हुई थी ।...परंतु अपनी एक गलती के कारण उसने अपना सभी मान- सम्मान खो दिया ।उसने एक  लड़के के साथ  प्रेम विवाह घर से भाग  कर किया था । .... जो कि उसके माता पिता को बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने उससे  संबंध तोड़ लिए थे।
 स्पीकर ने मंच से जब स्वाति की माँ का नाम पुकारा तो... अपना नाम सुनकर रश्मि की तंद्रा  भंग हुई वह मंच पर गई और मंच पर जाकर माइक से बोलते हुए कहा कि हमेशा अपने माता-पिता का कहना मानना चाहिए।.. क्योंकि माता- पिता ही आपको सही रास्ते पर चलना सिखाते हैं ।...और उनके बताए रास्ते पर चलने से ही जीवन की सभी खुशियाँ प्राप्त होती हैं।  यह कहकर फूट-फूट कर रोने लगी क्योंकि 25 साल से मन में दबा हुआ गुबार निकाला और पश्चाताप की आग जो कि उसके सीने में जल रही थी ,आज  शांत हुई । रश्मि के माता -पिता भी समारोह में शामिल थे  जब उन्होने  अपनी बेटी को इस तरह रोते बिलखते देखा तो उनका 25 साल पुराना गुस्सा भी उनके आंसुओं में बह गया और उन्होंने मंच पर आकर अपनी बेटी को गले लगा लिया ।

✍️  स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद

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