बुधवार, 1 जुलाई 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा --- माहौल


             बड़ी धूमधाम से शादी के बाद मोहिनी ने अपनी ससुराल में आयी... आशा के विपरीत सुसराल का माहौल देखकर उसका माथा चकरा गया।.... उसके जेठ जो कि रेलवे में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं.. पैर की हड्डी टूटने व अत्यधिक शराब पीने के कारण  कई महीनों से बिस्तर पर पड़े हैं।.... और परिवार का प्रत्येक सदस्य  उन्हें बहुत खरी -खोटी सुनाता रहता है ।यहाँ तक कि उसकी जेठानी भी अपने पति से दिन-रात लड़ती रहती है ।यह देखकर मोहिनी  को बहुत दुख हुआ। उसने मन ही मन घर के माहौल को बदलने का प्रण लिया..... उसने घर के सभी सदस्यों के साथ- साथ जेठ सुरेश को भी मान सम्मान देना शुरू कर दिया। यह देखकर सभी लोग अचंभित हो गए  ।...सभी का व्यवहार सुरेश के प्रति  बदलने लगा... उसकी सेवा से सुरेश धीरे-धीरे ठीक   होने  लगा।  और आज नौकरी पर जाते समय  को मोहिनी  को धन्यवाद देने उसके कमरे में गया और बोला..... मोहिनी.. यदि तुम इस घर में ना आती ....तो मैं कब का खत्म हो चुका होता.... तुम्हारी वजह से ही मुझे नया जीवन मिला है। जन्म देने वाली ही माँ नहीं होती ...बल्कि  जीवन को संवारने  वाली भी माँ के समान ही होती है..... मैं.. तुम्हें शत-शत प्रणाम करता हूँ.... यह सुनकर मोहिनी अपने आँसुओं को रोक नहीं पायी। और जेठ के पैर छूने के लिए नीचे झुक गयी।

 ✍️  स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
 मुरादाबाद
9456222230

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें