गुरुवार, 4 मार्च 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा --जैसी करनी वैसी भरनी

    


  गृह प्रवेश के समय अपनी सास   व ननद से नौकरों जैसा व्यवहार करने वाली दीपाली के आँसू आज रोकने से भी नहीं रुक रहे थे।... रो-रो कर दीपाली तथा उसके पति का बुरा हाल था।.... वह समझ नहीं पा रहे थे।.... कि अब कहां जाएं?....  क्योंकि जिस बैंक से नीरज ने लोन लेकर घर बनाया था... इंक्वायरी होने पर वह फर्जी निकला ।सच सामने आनें पर उसके घर की नीलामी हो रही थी और नौकरी भी चली गई।.... अब नीरज व दीपाली दर-दर की ठोकरों को मोहताज व बेघर हो गये  । 

✍️ स्वदेश सिंह, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें