सुबह-सुबह ही फोन की घंटी बजी.... फोन नेहा की माँ ने उठाया हैलो ....... मैं नेहा की ससुराल से बोल रही हूँ ....एक घबराहट भरी भरी आवाज सुनाई दी..... भैया का एक्सीडेंट हो गया है। आप जल्दी से आ जाइए ....यह सुनकर नेहा की मम्मी के होश उड़ गए....वह मन ही मन दामाद की सलामती की दुआ माँगने लगी। जल्दी-जल्दी आपने बेटे को लेकर नेहा की ससुराल पहुँच गयी। .....वहां पहुंचने पर देखा कि घर पर बहुत भीड़ लगी है... सभी लोग बहुत तेज- तेज रो रहे हैं।....रोना सुनकर उसकी दिल बैठा जा रहा था ...कि कही कोई अनहोनी ना हो गयी हो।पर जो ईश्वर को मंजूर वही होता है।...उसका दामाद अब इस दुनिया में नही रहा ।.. एक्सीडेंट बहुत भयानक हुआ था।.....जिससे नेहा के पति सुशील के सिर में चोट लग गई थी । और डॉक्टर उसे बचा नहीं पाए थे ।....
जिससे कि नेहा के पति सुशील की मृत्यु हो गई ।यह सुनकर नेहा की माँ जैसे पत्थर बन गई ...उसके मुँह से कोई बोल नहीं निकल रहा था ।कि वह अपनी बेटी को कैसे ढाढ़स बधायें।...और अपनी बेटी से लिपट- लिपट कर रोने लगी और रोते-रोते सोचने लगी कि मेरी बेटी के सामने पहाड़ सी जिंदगी पड़ी है ...कैसे काटेगी ?...और दो बच्चे भी हैं ।...यह सोच -सोच कर उसका दिमाग खराब हो रहा था... और अब तो नेहा के पापा भी नहीं है जो वह अपने घर में रह ले। इस दर्दनाक घटना को देखकर नेहा और उसकी माँ एक दूसरे से गले मिलकर कई घंटों तक रोती रही।... कुछ दिनों के बाद नेहा अपने मायके आ गयी और दिन-रात चिंता में डूबी रहती है... कि किस तरह से उसके बच्चें और उसका जीवन कटेगा। अपनी बेटी की हालत देखकर नेहा की माँ बहुत दुखी होती ....उसने अपनी बेटी के जीवन में खुशी लाने का फैसला किया ।बहुत सोचने -विचारने के बाद उसकी माँ ने एक निश्चित किया ।...कि वह अपनी बेटी का पुनःविवाह करेंगी। अतः उसने लिए अपने बेटे व अन्य रिश्तेदारों से अपनी बेटी के लिए घर- वर ढूंढने के लिए कहा...जिसके लिए उसे सभी का विरोध सहन किया और इसके लिए बेटी तैयार नहीं थी। लेकिन माँ के बार -बार मनाने पर बेटी मान गई। लगभग एक साल बाद एक परिवार मिला जो उसके बच्चों सहित उसे अपनाने को तैयार था। बहुत ही साधारण तरीके से उसका विवाह कर दिया गया।कुछ ही दिनों में वह तथा बच्चें नये परिवार मे घुलमिल गयें। नेहा का नया पति बच्चों व नेहा के साथ बहुत खुश था । आखिरकार उनकी वजह से ही उसका परिवार पूरा हुआ। नेहा की माँ द्वारा लिया गया निर्णय सफल हुआ । नेहा अपने पुराने दुख भरे दिनों को भूलकर अपने नए परिवार में खुशी -खुशी रहने लगी।
✍️ स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद
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