गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघु कथा --आनन्द


अरे -अरे बेटा  मांझे को ढीला करो वरना  पतंग कट जाएगी...आवाज   सुनकर जब मैंने बाहर देखा तो पड़ोस में रहने वाला सुनील अपने बेटे को पतंग उड़ाने  की बारीकियां समझा रहा था। देखकर मन में अजीब सी खुशी महसूस हुई कि आज कितने दिन...साल बाद सुनील को अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिला है।
    एक समय था जब सुनील पतंग उड़ाने में नंबर-1 था... उसके पापा उसे बार-बार पढ़ाई के लिए कहते थे परंतु उसका मन पढ़ाई में न लगकर पतंग में ज्यादा लगता था । चोरी छिपे घर की छत पर पहुंचकर भरी दोपहर  में पतंग उड़ाना उसकी दिनचर्या  था.... जिसके लिए   रोज अपने पिताजी की डांट और मार दोनों खाता था परंतु आज 18- 20 साल बाद उसे इस तरह खुश देख कर मन को बड़ी शांति  मिल रही थी ,जबसे उसके पापा का स्वर्गवास हुआ है, वह सुबह 6:00 बजे से रात को 11:00 बजे तक घर में ही बनाई हुई दुकान पर बुझे मन से पूरे दिन बैठा रहता है और ग्राहकों को सामान देता रहता है।उसे मुस्कराते हुए  शायद ही कभी किसी ने देखा हो... परंतु आज कोरोना वायरस के कारण पूरे देश मे लॉकडाउन होने से उसका  पुराना शौक  पुनः  जीवित हो गया ।  वह अपने बेटे के साथ बहुत खुश नजर आ रहा है।

***स्वदेश सिंह
सिविल लाइन्स
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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