गुरुवार, 19 नवंबर 2020

मुरादाबाद की साहित्यकार स्वदेश सिंह की लघुकथा ----नयी शुरुआत

 


शादी के कुछ दिनों बाद रागिनी अपने पति के साथ अपनी नौकरी वाले शहर पहुंच गई। रागिनी को यह शादी बिल्कुल भी पसंद नहीं थी ....परंतु मम्मी- पापा की वजह से मजबूरी बस करनी पड़ी।.... क्योंकि रागिनी एक डॉक्टर थी और  वह चाहती थी कि उसका पति भी डॉक्टर ही हो.. परंतु.....  उसके पापा ने उसकी शादी  इंजीनियर से कर दी।...  रागिनी  बहुत उदास थी उसे सुनील पसंद नहीं था। कमरे पर पहुंचने के बाद उसने बेमन से रात का खाना तैयार किया  ...... जब रात को रागिनी और उसका पति सुनील खाने के  लिए बैठे... तो रागिनी की माँ का फोन  आ जाने के कारण  वह बात करने लगी ।  तब तक  सुनील  अपना खाना  खत्म कर चुका था। फोन रखने के बाद रागिनी ने जैसे ही  पहला कोर मुहँ में रखा.... वह  थूकने के लिए भागी ।यह देख कर सुनील ने कहा क्या हुआ .....क्या दाल में कुछ कंकड़ आ गई।..... रागिनी ने कुछ नहीं कहा और  आश्चर्य के साथ सुनील को देखते हुए बोली.... आपको दाल में नमक ज्यादा नहीं लगा !....दाल में इतना ज्यादा नमक  आपने कुछ भी नहीं कहा....... और आपने सारा खाना खा लिया।...सुनील ने मुस्कुराते हुए कहा..... अभी हमारे  जीवन की  नई शुरुआत है। .. और इसे  हम दोनो को ही प्यार से शुरू करना है .....  यह सुनकर  रागिनी को अपनी सोच पर बहुत ग्लानि हुई ।...और उसकी आंखों में आंसू टप टप गिरने लगे । यह देख कर  सुनील ने रागिनी के आँसू पोछतें हुए अपने सीने से लगा लिया।

✍️ स्वदेश सिंह, सिविल लाइन्स, मुरादाबाद

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