मंगलवार, 4 फ़रवरी 2020

हिन्दी साहित्य संगम, मुरादाबाद की ओर से 2 फरवरी 2020 को काव्य गोष्ठी का हुआ आयोजन

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिन्दी  साहित्य संगम द्वारा मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन रविवार दो फरवरी 2020 को आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज, मिलन विहार मुरादाबाद  पर किया गया।अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की। मुख्य अतिथि अशोक विश्नोई एवं विशिष्ट अतिथि डॉ मनोज रस्तोगी रहे। माँ शारदे की वंदना श्री रामेश्वर वशिष्ठ ने प्रस्तुत की । संचालन राजीव 'प्रखर' ने किया।
गोष्ठी में युवा शायर राशिद 'मुरादाबादी' ने कहा - "चंद रोज़ की ज़िन्दगी में, क्या क्या करने लगे हैं लोग।
बेच कर खुद ही अपना ईमां, जेबें भरने लगे हैं लोग।"

 राजीव 'प्रखर' ने पर्यावरण संरक्षण का आह्वान करते हुए कहा -
"अपने अन्त को मानव ने, खुद ही दावत दे डाली।
तरुवर छीने धरती से, ग़ायब कर दी हरियाली।"

वरिष्ठ साहित्यकार अशोक विश्नोई का कहना था---
"आओ कोई गीत लिखें।
अपनी-अपनी प्रीत लिखें।"
 राम दत्त द्विवेदी ने सुनाया-
"मैं हूँ हिन्दू, तू मुसलमां, दोनों का खूँ एक है।
एक है अपनी ज़मीं, सारा जहाँ भी एक है।"

 के० पी० सिंह सरल की रचना थी-
"आँख बन्द कर देखिये, घना स्याह अंधियार।
फिर उसमें ही खोजिए, स्वत्व तेज़ उजियार।"

 डॉ मनोज रस्तोगी ने नवगीत सुनाते हुए कहा -
"कौन खड़ा है नभ में, लेकर चाँदी का थाल।
देखो बुला रहा पास किसे, फैलाकर किरणों का जाल।"

 मनोज वर्मा 'मनु' का कहना था -
"करता चल जो कर सके, जितना पर उपकार।
सुख देने से सुख मिले, यह जीवन का सार।"

 शायर मुरादाबादी ने कहा- 
"प्रेम की बातें प्यार की बातें करते हैं।
आओ, कि कुछ बेकार की बातें करते हैं।"

 शिशुपाल 'मधुकर' ने गीत प्रस्तुत किया-
"जितने झूठ तुम्हारे मन में, उतने ही मन के बाहर हैं।
सच दफ़नाकर झूठ उगाना, कितना मुश्किल होता होगा

 रामेश्वर वशिष्ठ ने कहा -
"माँ सरस्वती वंदन का, राग बसंती गुनगुनाने का।
माधुरिम संदेश लेकर, आज बसंत फिर आया है‌।
"
 ओंकार सिंह 'ओंकार'  ने गजल सुनाई -
"फूल खिलते हैं हसीं हम को रिझाने के लिए
ये बहारों का है मौसम गुनगुनाने के लिए।"

 रामदत्त द्विवेदी ने आभार अभिव्यक्त किया।
   

















:::::प्रस्तुति:::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9456687822

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