मन का वृन्दावन हो जाना, कितना अच्छा है
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(उ०प्र०राज्य स्तरीय खादी एवं ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के अंतर्गत भव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन)
मुरादाबाद, 01 फरवरी। पारकर इंटर कॉलेज मुरादाबाद में चल रही राज्य खादी प्रदर्शनी में आज एक भव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मुरादाबाद के कई लब्ध प्रतिष्ठित कविगणों ने अपनी सुंदर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्रद्धेय डॉ० माहेश्वर तिवारी जी ने की। मुख्य अतिथि श्री अनिल सिंह एवं विशिष्ट अतिथि श्री मनोज कुमार गुप्ता (जिला ग्रामोद्योग अधिकारी, मुरादाबाद) रहे। माँ शारदे की वंदना युवा कवि श्री मयंक शर्मा ने प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध नवगीतकार श्री योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों ने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर आधारित रचना पाठ किया। रचनाकारों की अभिव्यक्ति निम्न प्रकार रही -
१) राजीव 'प्रखर' -
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"लगे छेड़ने बैठ कर, हरियाली के तार।
माँ वसुधा की गोद में, ऋतुओं के सरदार।
बैर-भाव विद्वेष का, कर भी डालो अंत।
पीली चूनर ओढ़ कर, कहता यही वसन्त।
२) डॉ० मनोज रस्तोगी -
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"यह रोज-रोज बिस्कुट डालने का ही प्रताप है।
ये मुझे अकेला नहीं रहने देते।
फालतू लोगों को मुझसे अपनी बात नहीं कहने देते।"
३) फक्कड़ 'मुरादाबादी' -
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"आदमी में किस तरह विश भर गया है।
विषधरों का वंश भी अब डर गया है।
कल सुनोगे आदमी के काटने से,
कोई सांप रास्ते में मर गया है।"
४) मक्खन 'मुरादाबादी' -
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"थाने के पास पड़ी हुई एक लाश,
अपने हाल पर रो रही थी
पत्रकार ने थानेदार से पूछा,
यह लाश किसकी है।
मैंने कहा, थानेदार साहब खामोश क्यों हो, कह दो, यह लाश पूरे हिन्दुस्तान की है।"
५) विवेक 'निर्मल' -
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"जिसके काँधे बैठ छुटा लाया,
सब नभ के तारे मैं।
क्या कहूँ पिता के बारे में।"
६) योगेन्द्र वर्मा 'व्योम' -
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"बिखरे खुशबू धूप सी, यत्र-तत्र-सर्वत्र।
बहुत दिनों के बाद जब, मिले किसी का पत्र।
छँटा कुहासा मौन का, निखरा मन का रूप।
रिश्तो में जब खिल उठी, अपनेपन की धूप।"
७) डॉ० अजय 'अनुपम' -
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"कड़वाहट बोते रहे, दुनियां में हथियार।
शान्ति चाहता है मगर, यह सारा संसार।
ताना-बाना देश का, प्यार और सद्भाव।
है केवल कपड़ा नहीं, खादी एक विचार।"
८) अशोक विश्नोई -
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"करे मोहित अदाओं से, अदाकारी इसी में है।
जताये मित्रता हरदम, वफ़ादारी इसी में है।"
९) शिशुपाल 'मधुकर' -
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"तुम कुछ भी कहो, हम कुछ ना कहें,
यह कैसे तुमने सोच लिया।
तुम जुल्म करो, हम उसको सहें,
यह कैसे तुमने सोच लिया।"
१०) डॉ० माहेश्वर तिवारी -
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"मन का वृन्दावन हो जाना, कितना अच्छा है।
चारों तरफ धुन्ध की काली, चादर फैली है।
पूरनमासी खिली, चांदनी मैली-मैली है।
वन्शी बनकर तुम्हें बुलाया, कितना अच्छा है।"
इसके अतिरिक्त श्री रघुराज सिंह 'निश्चल' जी ने भी काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम में श्री गोपाल अंजान (दर्जा राज्यमंत्री एवं उपाध्यक्ष राज्य खादी ग्रामोद्योग),डॉ०प्रदीप शर्मा, श्री लक्ष्मण प्रसाद खन्ना, श्रीमती मधु सक्सेना, श्री रघुराज सिंह 'निश्चल', हेमा तिवारी भट्ट, मोनिका शर्मा 'मासूम', ज़िया ज़मीर, पंकज दर्पण, मनोज 'मनु', राशिद 'मुरादाबादी', अभिषेक रुहेला, प्रदीप शर्मा, मीनाक्षी ठाकुर, आवरण अग्रवाल 'श्रेष्ठ', ईशांत शर्मा 'ईशू', रवि चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे।
बेहतरीन आयोजन
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