रविवार, 18 सितंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक व सांस्कृतिक संस्था कला भारती के तत्वावधान में रविवार 18 सितंबर 2022 को वाट्स एप काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । प्रस्तुत हैं गोष्ठी में शामिल साहित्यकारों की रचनाएं .....

 



हिन्दी दिवस वो नहीं जो

इक दिन आकर सूना हो जायेगा
ये मातृभाषा गौरव है भारत का
इक दिन दुनिया में माना जायेगा

ये तिरंगे की रगों में है लहलहाता
मातृभूमि को वन्दन कर है झूमता
इसकी पद्चाप है हमारी संस्कृति
हमारी पहचानऔर है भाग्य विधाता

सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का उद्घोषक
ये आशाओं का गुनगुनाता संगीत है
हमारे विश्वास को दस्तक देता ये
भारत माँ के माथे काजगमग सिन्दूर है

क्यों हम अनुकरण करें पाश्चात्य का
क्यों न हम ही अनुकरणीय हों जायें
अपनी मातृभाषा का परचम लहराकर
हिमालय की चोटियों को भी गुदगुदायें।

✍️ सरिता लाल
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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धन यश वैभव के चक्कर में, जीवन व्यर्थ गँवाया I
अंतिम पल वह धन भी तेरे, किंचित काम न आया II
सोच ज़रा क्या खोया तूने, सोच जरा क्या पाया II

सागर की गहराई से जो हर पल डरता आया I
सिंधु तीर की तलछट से वो  बस पत्थर चुन पाया II
जो गहरे में उतर गया, उसने ही मोती पाया I
सोच ज़रा क्या खोया तूने, सोच जरा क्या पाया II

तू मंजिल तक पहुँच गया था, फिर कैसे तू अटका I
मंजिल पर टिकने के बदले, अहंकार में भटका II
नियति जिसे उलझाती उसको कृष्ण न सुलझा पाया I
सोच ज़रा क्या खोया तूने, सोच जरा क्या पाया II

✍️ श्रीकृष्ण शुक्ल
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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राष्ट्रीय ध्वज को सिलते सिलते
सुईं रुक गई
अभिलाषा ने पूछा
क्या हुआ बिटिया
रुक क्यों गई,
सुईं कह रही है                                                    हमनें न जाने कितने
ध्वज सिल दिये
पर इतना अपमान
कभी नहीं हुआ
कोई ध्वज से पोंछा लगा रहा है
कोई टेबिल साफ कर रहा है
तो
कोई बीच चौराहे पर जला रहा है
यह क्या हो रहा है ?
माँ
ध्वज सिलते हुये
बार बार धागा टूट रहा है
इन देशद्रोहियों के कारण
तिरंगा भी शर्मिंदा हो रहा है।।

✍️ अशोक विश्नोई
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एक दीपक नाम उनके भी जरा रखना,
जो गए सबके लिए ,उजली किरण देकर।
चैन से त्योहार सब हों, और खुशी आए ,
मिट गये सबके लिए ,जो पुर सुकूं देकर।

एक दीपक नाम उनके, भी जरा रखना ,
प्रहरी बनकर सरहदों पर,, जो खड़े तत्पर।
सर्दी,गर्मी,बर्फ,बर्षा की न परवाह की,
गोलियों से शत्रुओं संग, जो लड़ें डट कर।

एक दीपक नाम उनके,भी जरा रखना,
खुद न्योछावर हो गये जो मातृ भूमि पर।।
न कभी सुख चैन पाया दूर हो मां बाप से,
त्याग कर घर-द्वार निकले देश की खातिर।

एक दीपक नाम उनके भी जरा रखना,
रच गये इतिहास खूं से, जो अमर होकर।
हो निहत्थे भी न हारे, शत्रु से रण में,
सर कटे धड़ भी लड़े थे देर तक डट कर

✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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ये ज़मीं रोने लगी ये आसमां रोने लगा ।
उसके आंसू देख कर सारा जहां रोने लगा ।।
वो जो खुशियां बांटता फिरता था घर घर द्वार द्वार ।
उसके जाने के गमों में हर मकां रोने लगा।।
ये चमन सूना हुआ खोया हुआ सा है शहर ।
एक अंधेरा सा हुआ सारा ज़मां रोने लगा ।।
पेड़ पौधों फूल कलियों पर उदासी छा गयी ।
ग़म में क्या डूबा मुजाहिद ये समां रोने लगा
✍️ मुजाहिद चौधरी
हसनपुर, अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत

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अच्छे अच्छों में गए, बुरे-बुरों के संग।
जो जैसा था धूप में, मिला उसे वो रंग।।

सच की कीमत एक ही, ठोक बजाकर जान।
गिरगिट जैसे झूठ का, घटता-बढ़ता मान।।

कमियाँ हममें लाख हैं, भीतर ऐब हजार।
फिर भी हम तुझसे नहीं, सुन ले झूठे यार।।

जी, भरकर निंदा करे, चाहे सकल जहान।
कभी नहीं घटता मगर, सद्कर्मों का मान।।

लेन-देन, घाटा नफा, लिखकर नकद उधार।
चौराहों पर सज रहा, रिश्तों का बाजार।।

अपनी तो हरदम रही, डंडा ठोकी बात।
झुठला दे जो सत्य को, किसकी है औकात।।

तुलना का प्रारंभ है,अपनेपन का अंत।
खो जाता आनंद तब,पीड़ा मिले अनंत।।

सीधे सच्चे प्यार के, झूठे कौल करार।
कृष्णम् माथा पीटते, रिश्तों के आधार।।

✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत

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अक्सर
रात को
मैं शहर में टहलता हूं
टहलते टहलते
जब देखता हूँ
काली-पसरी और
गड्ढेदार सड़क
तो अहसास होता है
मुझे किसी
बंधुआ मजदूर का
जो दिन भर की थकन
उतारने को
पसर गया हो
और
मालिक की तरह
भौंकते हुए कुत्ते
उसकी नींद में
खलल डाल रहे हों
सड़क के दोनों ओर
फुटपाथ पर
बच्चों को
सोता हुआ देख
मुझे ध्यान आता है
बच्चे,
भगवान होते हैं.

✍️ डॉ मनोज रस्तोगी
8, जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद-244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नं -
9456687822
sahityikmoradabad.blogspot.com
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अपनापन लगता दलदल क्यों
मुस्कानों तक में भी छल क्यों

सुख-सुविधा तो सब है फिर भी
जीवन लगता नहीं सरल क्यों

भाग्य बड़ा या कर्म बड़ा है
कुछ प्रश्नों के मिले न हल क्यों

मन से मन यदि जुड़ा न होता
तो फिर होते नयन सजल क्यों

मिटे शत्रुता पलभर में ही
पर तुम करते नहीं पहल क्यों

कथ्य-शिल्प यदि सुदृढ़ न होता
सुनते मन से लोग ग़ज़ल क्यों

'व्योम' खोखली बुनियादों पर
गर्व कर रहे शीशमहल क्यों

✍️ योगेन्द्र वर्मा 'व्योम'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत

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✍️ राहुल शर्मा
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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निशिदिन है चेता रहा, घटता जल-भण्डार।
प्यासी धरती का मनुज, चुकता करो उधार।।

कहती ढलकर काव्य में, मेरे मन की पीर।
बढ़ राही तू अब कभी, होना नहीं अधीर।।

चाहे इसका ज़ोर हो, या उसकी सरकार।
प्यासा देखे दूर से, फव्वारे की धार।।

जारी रखने के लिए, प्रेम भरे वो सत्र।
चल दोनों मिलकर पढ़ें, आज पुराने पत्र।।

कुछ हम-तुम मसरूफ़ हैं, कुछ मौसम बेजान।
चल इनमें से भी चुनें, थोड़ी सी मुस्कान।।

हाल-चाल भी पूछना, हो जाये दुश्वार।
मुझे न करना व्यस्तता, तू इतना लाचार।।

दाना चुगते देखकर, तुमको अरसे बाद।
प्यारी चीं-चीं आ गई, हमको मम्मी याद।।

ॲंधियारे अब ऐंठना, है बिल्कुल बेकार।
झिलमिल दीपक फिर गया, तेरी मूॅंछ उतार।।

आकर मेरी नाव में, हे जग के करतार।
मुझको भी अब ले चलो, भवसागर से पार।।

✍️राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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शरद ऋतु की देहरी पर क्यों
गरज रही है श्यामा बदरी
मंद गति संग बही पवन है
चली शीत अब लेकर चदरी ।

भोर पहर जब लगी बरसने
जगती कितना है अलसायी
सूर्य किरण को रोक बीच में
गगन सदन में है लहरायी ।

बैठ दुपहरी सोच रही यह
क्यों अब तक मेघा ठहरे हैं
सावन भादो जी भर बरसे
भर दिये सरोवर गहरे हैं ।

भरी रात भी चैन नहीं है
वह रिमझिम लोरी गाती है
चाँद सितारे छिपा अंक में
जग अंधेरा कर जाती है ।

✍️ डॉ रीता सिंह
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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किसने ढक दी थालपोश से
रस्मों वाली थाली

पत्तल को वनवास हो गया
कुल्हड़ हैं बेचारे
मस्त बफे के फैशन में सब
पंगत राह निहारे
खुशियों की शूटिंग तो होती
पर गायब खुशहाली

चैती मेले जाना लगता
शहरों को देहाती
गेहूँ की बाली भी अब तो
बैसाखी कब गाती
विदा करा दी किसने रौनक
चौपालें सब ठाली

ढोलक भी गीतों से गुपचुप
करती कानाफूसी
सोहर, मंगल गाना लगता
अब तो दकियानूसी
डीजे के सम्मुख नतमस्तक
कल्चर भोली-भाली

✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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बहादुर आदमी के हाथ भी तलवार होते हैं।
जुबान के बादशाह अपनी जुबान से ख्वार होते हैं।।
शब्द झूठे हों तो गिरते, गिराते मुहँ के बल।
सच्चे हों शब्द तो खुद हवा पर सवार होते हैं।।
✍️ संजीव आकांक्षी
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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धीर-वीर और सिंह-सरीखे,
रहते गंभीर यदा-कदा।
तरकश में रखते जो अपने,
थोथे-पैने तीर सदा।।
जहां जैसी जरूरत होती,
फेंक वहां वे देते हैं।
नतमस्तक हो आतंकी भी,
उल्टी सांसें लेते हैं।।
भारत का है भविष्य सुरक्षित,
मोदी जी के हाथों में।
असर घना जादू-सा लगता,
उनकी मीठी बातों में।।
हमदर्द गरीबों के दिखते,
दुश्मन रिश्वतखोरों के।
और पसीने सदा छूटते,
चोरों और लुटेरों के।।
चीन भी चुंधी आंखों से,
अब देख तरक्की चौंक रहा।
पाकिस्तान पुराना दुश्मन,
कुत्ते जैसा भौंक रहा।।
काश्मीर की किस्मत चमकी,
चमका मन्दिर राम का।
काशी में श्रृंगार कराया,
विश्वनाथ के धाम का।।
मन में गूंजे वंदे-मातरम्,
राष्ट्रवाद का नारा जी।
भ्रष्टाचार खत्म हो जड़ से,
भारत स्वच्छ हमारा जी।।
मैली गंगा निर्मल करके,
आशीष आपने पाया है।
इसीलिए तो सबके दिल में,
'नमो-नमो' ही छाया है।।
विश्व गुरु बनने का प्रण,
मोदी जी ने ठान लिया।
देख इरादे ऊंचे-ऊंचे,
लोहा सबने मान लिया।।
मोदी जी के शासन में,
हर बालक-बूढ़ा झूम रहा।
उनके उच्च विचारों से,
अब देश का पहिया घूम रहा।।
देश के दुश्मन थर-थर कांपें,
मोदी की हुंकारों से।
इसीलिए सब दिशाएं गूंजतीं,
'नमो-नमो' के नारों से।

✍️ अतुल कुमार शर्मा
सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल: 8273011742

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हिन्द में कहते हसीं है जिंदगी।
चेहरों पे झूठी हसी है जिंदगी।

जीने का संघर्ष जारी आज भी,
बेबसी में यूँ फंसी है जिंदगी।

है अजादी पास लेकिन, पर बंधे
धर्म जाती ने कसी है जिंदगी।

उठ सकी इंसानियत ना आज भी
नफरतों से यूँ सनी है जिंदगी।

जश्ने आजादी मनाते हम सभी,
लगता पर कोई कमी है जिंदगी।

✍️ इन्दु रानी
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत

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क्यों चले आए बदगुमानी में
हमको आना न था कहानी में

उसने अब तक सहेज रक्खी है
ख़ास है कुछ तेरी निशानी में

राम का नाम सिर्फ़ नाम नहीं
संग भी तैरते हैं पानी में

इतना क़ाफ़ी है जान लो ख़ुद को
चार ही दिन हैं ज़िंदगानी में

पात्र मिलते हैं और बिछड़ते हैं
ज़िंदगी की हसीं कहानी में

हँसते-हँसते मिटी वतन पर जो
बात कुछ तो थी उस जवानी में

✍️ सुमित सिंह 'मीत'
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हिन्दू न मुसलमान की हिंदी भाषा है हिंदुस्तान की
ये पहचान है विश्व मे हिंदुस्तान की
ये भाषा है एहसास की
ये भाषा है स्नेह की
ये भाषा है प्यार की
इकबाल के तरानों की
देशप्रेम के गानों की
गैरो को अपनाने की
अपनों से दूर न जाने की
भाषा नही ये पेहचान है
अखण्ड भारत की।
✍️ आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ
मुरादाबाद
उत्तर प्रदेश, भारत




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