1 गीतिका
सब मिल हम सखियाँ बचपन की
चल करते बतियाँ बचपन की
बागों में चलकर फिर खाते
वो खट्टी अमियाँ बचपन की
छत पर उन तारों को गिनकर
बीते फिर रतियाँ बचपन की
शादी हम जिसकी करवाते
चल ढूँढे गुड़िया बचपन की
कच्चे उस आगंन में अब भी
फुदके हैं चिड़ियाँ बचपन की
नव जीवन के सपने देखें
चमके हैं अँखियाँ बचपन की
2 दोहा गीतिका
बच्चे हम माँ शारदे , करते तेरा ध्यान ।
जीवन- पथ पर तुम हमें ,देती रहना ज्ञान ।।
माँगें हम यह भारती, हो भारत का नाम ।
फहरे झण्डा विश्व में, भारत की बन शान ।।
सभी रंग के फूल से , महके हर उद्यान ।
यही हमारी कामना , सब हो एक समान ।।
रुके नहीं चलते चलें , करें नहीं आराम ।
धात्री के सम्मान का , रखना हमको मान ।।
स्वप्न यही है ' प्रीति 'का, बेटी बनें महान ।
उनसे ही तो है बढ़े , इस भारत की शान ।।
3 गीतिका
सैर इस आसमाँ की कराओ परी
चाँद के पास जाकर सुलाओ परी ।।1।।
है वहीं माँ , बतायें मुझे सब यही
अब चलो आज माँ से मिलाओ परी ।।2।।
तुम सुनाकर कहानी मुझे गोद में
नींद भी नैन में अब बुलाओ परी ।।3।।
झिलमिलाते सितारे कहें हैं मुझे
ज़िंदगी में नया गीत गाओ परी ।।4।।
सीख अब मैं गयी बात यह काम की
फूल से तुम सदा मुस्कुराओ परी ।। 5।।
4 गुल्लक
बचपन की वह प्यारी गुल्लक
मिट्टी की थी न्यारी गुल्लक
चवन्नी अठन्नी जोड़ी जिसमें
मिलती नहीं हमारी गुल्लक
चकाचौंध की भेंट चढ़ गईं,
मेरी और तुम्हारी गुल्लक।
नहीं दिखतीं घर में किसी के
कहाँ गईं वह सारी गुल्लक।
5 मेरी माँ
कभी कड़वी कभी मीठी गोली सी मेरी माँ
प्यार अंदर भरा हुआ पर दिखती सख़्त है मेरी माँ
ममता की छांव में उसकी बड़े हुए हम
हम भाई बहनो का अभिमान है मेरी माँ
कभी.........
कड़ी धूप में चलना सिखाया
कठिनाइयों से लड़ना सिखाया
बात ग़लत पर चपत लगाती
राह सच्ची पर चलना सिखाती है मेरी माँ
कभी........
उच्च शिक्षा प्राप्त किए वो
पर अहंकार से बहुत दूर वो
हर पल चुनौतियों का सामना कर
आत्मविश्वास से भरी दिखती है मेरी माँ
कभी..........
न कभी सजते सँवरते देखा
न व्यर्थ बातों में समय व्यतीत करते देखा
सादगी से भरी ममता की मूरत
पूरे दिन हमारी फ़िक्र में
दिन रात मेहनत करती दिखती है मेरी माँ
कभी.....
कभी डाँट कर हमें वो अच्छा बुरा समझाती है
ये जीवन अमूल्य है
हर रोज़ यह बताती है
पथ पर क़दम न डगमगाए कभी
हर राह पर मेरे साथ खड़ी दिखती है मेरी माँ
कभी......
कभी गुरु बन वह मुझे मेरा रास्ता सुझाती है
कभी सखी बन मेरी हर बात बिन कहे समझ जाती है
कभी ईश्वर का रूप धर हर दुविधा में रास्ता बन जाती है
साहस अंदर भरा हुआ
हर विपदा से दूर मुझे कर देती है मेरी माँ
कभी.......
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला, अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
Sbhi kavitaye bahut hi lajabab
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