गुरुवार, 1 सितंबर 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार ज़िया ज़मीर की लघुकथा ....शाबाशी


चौराहे पर भीड़ जमा थी। सरकारी डस्ट-बिन में मैले और फटे हुए कपड़े में लिपटी नन्ही सी जान को वो भीड़ देख रही थी। तभी एक भिखारिन ने लपक कर उसे उठा लिया और अपने बोरे पर जाकर बैठ गई। कुछ देर ख़ामोशी रही। फिर उस भीड़ में खुश होकर तालियां बजा दीं।

 ✍️ ज़िया ज़मीर 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत


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