1 ....अब हम ख़ुद बाबा-दादी हैं
अब हम खुद बाबा-दादी हैं
कल आदेश दिया करते थे, आज हो गए फ़रियादी हैं
माँ से जन्म, पिता से पालन, नई फसल को व्यर्थ हो गया
संयम को बंधन कहते हैं, भोग प्यार का अर्थ हो गया
दो पल के आकर्षण को ही जन्म-जन्म की प्रीति समझते
जाने किसने ऐसी बातें इन बच्चों को समझा दी हैं
भीषण कोलाहल के भीतर असमय सोना, असमय खाना
मोबाइल से कान लगाए यहाँ खड़े हों वहाँ बताना
अपने को ही भ्रम में रखना, सच को हौले से धकियाना
छोटे-बड़े सभी की इसमें देख रहे हम बरबादी हैं।
आना-जाना, सैर-सपाटा, गाड़ी से भरना फ़र्राटा
अपने लिये न सीमा व्यय की, घर माँगे तो कहना घाटा ,
सब कुछ जिन्हें दे दिया, उनको पलभर का भी समय नहीं है
हमने ही उलझनें हमारी, खुद अपने सर पर लादी हैं
2.....परिवर्तन तो परिवर्तन है
आएगा ही परिवर्तन तो परिवर्तन है
अब कुत्ते- बंदर आपस में मित्र हो गए
भाषा में गाली के शब्द पवित्र हो गए
चाहो या मत चाहो सुनना है मजबूरी
बोल सिनेमा रहा, लोक- प्रत्यावर्तन है
जैसा देख रहे पर्दे पर, वही करेंगे
कोमल मन में जब अनियंत्रित भाव भरेंगे
देह मात्र उपभोग्य रहेगी, कहना क्या है ,
जो जैसा है वही दिखा देता दरपन है
अंतरिक्ष में खोज रहे हैं नए धरातल
गढ़ता है विज्ञान सोच में नित्य हलाहल
ईश्वर दृश्य-अदृश्य कर्मफल ही अवश्य है
जीवन नश्य, यही कहता भारत दर्शन है
3......दुनिया सोने की
मिट्टी से भी कमतर है दुनिया सोने की
संबंधों का अर्थ किसी को क्या समझाना
बिखरा-बिखरा है सामाजिक ताना-बाना
घर जिससे घर है, उसका अनमना हुआ मन
पति-पत्नी के बीच विवशता है ढोने की
कल की आशा में संसार जुटा है सारा
घर आकर सब सुख पाते, बाबू, बंजारा
पिता देख बच्चों की हरकत को घुटता है
माँ को आशंका रहती बेटा खोने की
शिक्षा, नैतिकता सब कुछ व्यापार हो गया
अस्थिर हुए चरित्र, निभाना भार हो गया
रहे मनीषी खोज कि हम सुधरें, जग सुधरे
क्या संभव है, संभावना कहाँ होने की
4.......सबमें ऐसी डील हुई
नेता- पुलिस-प्रशासन, सबमें ऐसी डील हुई
कर्फ्यू में बारह से दो तक की ही ढील हुई
गेंद और पाली के पीछे दो लड़के झगड़े
उलझ गए छुटभैये, टोपी वाले ग्रुप तगड़े
रोज़गार रुक गया, आ लगी नौबत फ़ाक़ों की
जिसमें बच्चे पढ़ते थे, वह बैठक सील हुई
बदचलनी में धरे गए हैं दर्जी- पनवाड़ी
ब्राउन शुगर बेधड़क बेचे अंधा गुनताड़ी
पुलिस माँगती हफ्ता, नेता लगा उगाही में
शांति न होगी भंग, किसी पर कहाँ दलील हुई
बड़े दिनों में हत्या के नोटिस तामील हुए
बच्चे-बूढ़े, मर्द-औरतें, सभी ज़लील हुए
बरसों चली जाँच को जाने किसने लीक किया
बीती आधी सदी, कोर्ट में पुनः अपील हुई
5......हाथों से निकली जाती बाज़ी है
जागो रे ! हाथों से निकली जाती बाज़ी है
हर बेटे को अपने पापा से नाराज़ी है
जिसको देखो रोना रोता है महँगाई का
पर सबका खर्चा सुन्दरता पर चौथाई का
सबकी चिंता बना प्रदूषण है लेकिन फिर भी
त्योहारों पर खूब फूटती अतिशबाज़ी है
महानगर में चौबीसों घंटे चलते होटल
आमदनी से ज़्यादा घर के खर्चे का टोटल
कपड़ों या चरित्र दोनों की रही न गारंटी
दो दिन पहले कटी हुई सब्जी भी ताज़ी है
हुआ कमाई का धंधा है अब बीमारी भी
कुर्सी जैसी अब बिकती है रिश्तेदारी भी
राजनीति की तरह सभी के पास मुखौटे हैं
हँसकर ‘हाय-हलो' करना भी अब अल्फ़ाज़ी है
6.......बिना तेल के कब चलती है
बिना तेल के कब चलती है गाड़ी भी सरकार
दो थानों की सीमाओं में फूल रही है लाश
जब तक हुई काम्बिंग तब तक दूर गए बदमाश
रपट लिखाने से डरता है अब तो चौकीदार
जब तक ढूँढे जाते अफ़सर, दफ्तर और वकील
दीवारों पर कोर्ट कराता नोटिस की तामील
जब मिलती तारीख़, दरोगा हो जाता बीमार
बिकता मंगलसूत्र, कलाई के कंगन, पाज़ेब
हर दिन भरती ही जाती है मुंशी जी की जेब
सीट मलाई वाली पाते मंत्री जी हर बार
7.......किसे पता है
किसे पता है क्यों, कब देगा कंधा कौन किसे
बदल रहे हैं नई सदी में सब रिश्ते-नाते
राम-राम बंदगी न होती अब आते-जाते
अर्थ-स्वार्थ की चक्की में सारे संबंध पिसे
कहने-सुनने की बातें आपस में बंद हुईं
स्वर बहके, मर्यादा की कंदीलें मंद हुईं
सहमे कौतूहल लज्जा के जर्जर वस्त्र चिसे
अपनेपन का पानी आँखों से भी उतर गया
अहंकार का चूहा मुस्कानें तक कुतर गया
कतरन से घर भरे, ढूँढती ममता उसे-इसे
✍️ डॉ अजय अनुपम
विश्रान्ति 47, श्रीराम विहार, कचहरी मुरादाबाद-244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन : 9761302577
:::::::::प्रस्तुति::::::
डॉ मनोज रस्तोगी
8,जीलाल स्ट्रीट
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन 9456687822
सारी रचनाएं वर्तमान सामाजिक और राजनीतिक पटल को झकझोरती बहुत बढ़िया और प्रशंसनीय...
जवाब देंहटाएंडॉ अशोक रस्तोगी अग्रवाल हाइट्स राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद