सोमवार, 5 सितंबर 2022

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था " हिंदी साहित्य संगम" के तत्वावधान में ओंकार सिंह ओंकार के ग़ज़ल-संग्रह ‘आओ! खुशी तलाश करें’ का लोकार्पण समारोह एवं काव्य संध्या

मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था हिंदी साहित्य संगम के तत्वावधान में वरिष्ठ ग़ज़लकार ओंकार सिंह ओंकार के ग़ज़ल-संग्रह ‘आओ! खुशी तलाश करें’ का लोकार्पण रविवार 4 सितंबर 2022 को मिलन विहार दिल्ली रोड मुरादाबाद स्थित मिलन धर्मशाला के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी ने की, मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवयित्री डॉ. पूनम बंसल तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में गीतकार वीरेन्द्र सिंह ब्रजवासी एवं वरिष्ठ साहित्यकार योगेन्द्रपाल सिंह विश्नोई उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन कवि राजीव प्रखर द्वारा किया गया। 

      कार्यक्रम का आरंभ युवा कवयित्री मीनाक्षी ठाकुर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुआ। इस अवसर पर लोकार्पित कृति- ‘आओ! खुशी तलाश करें’ से रचनापाठ करते हुए ग़ज़लकार ओंकार सिंह ओंकार ने गजलें सुनायीं- ग़मों के बीच में आओ खुशी तलाश करें/अँधेरे चीर के हम रोशनी तलाश करें/हटाके धूल, जमी है जो अपने रिश्तों पर/पुराने प्यार में हम ताज़गी तलाश करें

        कार्यक्रम अध्यक्ष रामदत्त द्विवेदी का कहना था - "ओंकार जी ज़मीन से जुड़े हुए रचनाकार हैं और यह बात उनकी रचनाओं में स्पष्ट परिलक्षित होती है।"

     वरिष्ठ कवयित्री डॉ पूनम बंसल ने अपने विचार रखे - "आम जन मानस की भाषा में रची गई यह कृति निश्चित ही सभी के हृदय को स्पर्श करेगी।" 

      वरिष्ठ रचनाकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी का कहना था - "ओंकार सिंह ओंकार की ग़ज़लों में वही सादगी और सहजता के दर्शन होते हैं जो उनके व्यक्तित्व में हैं। वह संपूर्ण विश्व के कल्याण की कामना करते हैं और आह्वान करते हैं कि रिश्तों पर जमी धूल को हटाएं और बनावट की चकाचौंध में गुम हो गई खुशी को तलाश करें।"

      नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा- ‘ओंकार जी की ग़ज़लें भी संवेदना की पगडंडियों पर चहलकदमी करती हुई जीवन-जगत के यथार्थ को अभिव्यक्त करती हैं। उनकी ग़ज़लों की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि उन्होंने अपनी ग़ज़लों में आमजन की बात को आमजन की भाषा में ही बयाँ किया है।’

 वरिष्ठ गजलकार डाॅ. कृष्ण कुमार नाज़ के आलेख का वाचन किया गया- ‘ओंकार’ जी ने ‘आओ खुशी तलाश करें’ के माध्यम से आदमी से आदमी के बीच बढ़ती दूरी को कम करने का सफल प्रयास किया है। इस गजल-संग्रह का नाम ही हमें इस बात का पता देता है कि ओंकार जी में सबको साथ लेकर चलने की असीम क्षमता है। वे ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की उक्ति को अपनी रचनाधर्मिता का आधार बनाये हुए हैं।" 

इस अवसर पर मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था अक्षरा की ओर से ओंकार सिंह ओंकार को सम्मानित भी किया गया । सम्मान पत्र का वाचन योगेंद्र वर्मा व्योम ने किया ।

  कार्यक्रम में मीनाक्षी ठाकुर, अशोक विद्रोही, राजीव प्रखर, पूजा राणा,  रामसिंह निशंक, नकुल त्यागी, जितेन्द्र जौली, रामेश्वर प्रसाद वशिष्ठ, के.पी.सरल, विकास मुरादाबादी, इंदु रानी आदि ने कृति के संबंध में अपनी अभिव्यक्ति एवं काव्यपाठ किया। आभार-अभिव्यक्ति जितेन्द्र कुमार जौली ने प्रस्तुत की।
























-------- प्रस्तुति -------

राजीव प्रखर

कार्यकारी महासचिव

हिन्दी साहित्य संगम 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

3 टिप्‍पणियां:

  1. कार्यक्रम में उपस्थित हुए सभी साथियों का हार्दिक आभार व अभिनंदन।

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    1. पुस्तक "आओ ! ख़ुशी तलाश करें" के लोकार्पण समारोह के आयोजन में सम्मिलित सभी विद्वान रचनाकार साथियों का हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं। सभी ने मेरी रचना और मुझे अपनापन देकर अपनी बहुमूल्य समीक्षा प्रस्तुत की । मैं सभी का , विशेषकर हिंदी साहित्य संगम के संयोजक/आयोजक
      मंडल का आभार व्यक्त करता हूं। साहित्यिक मुरादाबाद के संचालक/संस्थापक डा मनोज रस्तोगी जी का यह बहुत बहुत आभार जिन्होंने बड़ी मेहनत और लगन से पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम और समीक्षाओं को यथा सम्भव उचित स्थान देकर प्रकाशित किया। इस सुन्दर आयोजन के लिए प्रेरित करने वाले श्री योगेन्द्र वर्मा व्योम जी और श्री राजीव प्रखर जी का विशेष आभार।
      ओंकार सिंह 'ओंकार' मुरादाबाद

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