बुधवार, 7 सितंबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद रामपुर निवासी साहित्यकार रवि प्रकाश का व्यंग्य .....फीता काटने की कला


 फीता काटना एक कला है । जब कोई दस-बीस जगह जाकर तरह-तरह के लोगों को फीता काटते हुए देखता है और केवल देखता ही नहीं है, गहराई से उसका निरीक्षण करता है तथा अपना सारा चिंतन फीता काटने में लगा देता है, तब उसे फीता काटने के वास्तविक महात्म्य का पता चलता है । अन्यथा ज्यादातर लोग फीता काटने के लिए जाते हैं और कैंची हाथ में जैसे ही उन्हें पकड़ाई जाती है, वह फीता काट देते हैं । जबकि यह इतनी सरल और सीधी-सादी प्रक्रिया नहीं होती है ।

                 फीता काटने से पहले आदमी को चारों तरफ गर्व से सिर उठाकर देखना चाहिए । एक नजर फीते की ओर, दूसरी नजर चारों तरफ उपस्थित भीड़ की ओर । अगल-बगल-पीछे सब को देखने के बाद उसे कैंची हाथ में लेने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए अर्थात कैंची को बहुत नाजुक तरीके से हाथ में उठाना होता है । इसमें कभी भी अपनी उतावलेपन की भावना को प्रकट नहीं होने देना चाहिए । वरना मामला बिगड़ जाता है । भीतर भले ही कैंची को झटपट प्लेट से उठाकर फीता काटने की ऑंधियॉं चल रही हों, लेकिन व्यक्ति की कलात्मकता इसी में है कि वह मंद मंद मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे कैची को प्लेट से उठाए और हल्के-हल्के फीते तक ले जाए।

          बस यहॉं आकर थोड़ा-सा रुकने की जरूरत है । अभी आपको फीता नहीं काटना है। कुछ लोग इसी समय अपना हाथ आपकी कैंची की तरफ बढ़ाने के उत्सुक होंगे । उन्हें जबरन पीछे धकेलने की कला आपको आनी चाहिए । यह बात सुनिश्चित कर लीजिए कि कैंची अकेले आपके हाथों में ही सुशोभित होनी चाहिए। अगर अगल-बगल के दो लोगों ने भी कैंची को स्पर्श कर लिया, तो समझ लीजिए कि आप का श्रेय एक तिहाई रह जाएगा। कल को जब इतिहास लिखा जाएगा, तब फोटो को सबूत के तौर पर कोई भी प्रस्तुत करके यह कह सकता है कि फीता तीन लोगों ने काटा है । तब आप क्या करेंगे ? सिवाय हाथ मलने के कुछ नहीं बचेगा ? 

            इसलिए कैंची को अपने शरीर के बीचो-बीच बिल्कुल सुरक्षित पोजीशन में रखिए । कैमरे की तरफ ध्यान अवश्य दें, लेकिन कैंची को चिंतन की धारा से बाहर न जाने दें। परोक्ष रूप से ध्यान पूर्णतः फीते पर ही रहना चाहिए । जरा सोचिए ! कितने उखाड़-पछाड़ के बाद फीता काटने का सौभाग्य जीवन में आता है ! कितने पापड़ बेले ! कितनी सिफारिशें पड़वाईं ! क्या-क्या सौदे नहीं किए ! न जाने कितने वायदों के बाद फीता काटने की मंजूरी मिल पाती है ! फीता काटने की दौड़ में अनेक प्रतियोगी लगे रहते हैं । एक अनार, सौ बीमार । जिसे फीता काटने का सौभाग्य मिल जाता है, सचमुच अपने आप को धन्य मानता है । दौड़ में एक को ही विजयश्री प्राप्त होती है । बाकी मन-मसोसकर रह जाते हैं कि यह जो फीता काटने का सौभाग्य अमुक को मिला है, काश हमें मिल जाता ! अगर दांव लग जाता तो हम भी फीता काट रहे होते! 

✍️ रवि प्रकाश

बाजार सर्राफा 

रामपुर 

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल 99976 15451

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