मुरादाबाद मंडल के साहित्य के प्रसार एवं संरक्षण को पूर्ण रूप से समर्पित संस्था साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से रविवार चार दिसंबर 2022 को आयोजित समारोह में अंग्रेजी एवं हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आर. सी. शुक्ल की चार काव्य कृतियों दिव्या, अनुबोध, जिंदगी एक गड्डी है ताश की तथा मृत्यु के ही सत्य का बस अर्थ है, का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उन्हें श्रेष्ठ साहित्य साधक सम्मान 2022 से सम्मानित भी किया गया। संस्था की ओर से उन्हें मानपत्र एवं अंग वस्त्र भेंट किए गए। मान पत्र का वाचन डॉ मनोज रस्तोगी ने किया।
रामगंगा विहार स्थित एमआईटी के सभागार में हुए इस समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन एवं राजीव 'प्रखर' द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात साहित्यकार यश भारती माहेश्वर तिवारी ने कहा - डॉ. आर. सी. शुक्ल के व्यक्तित्व व कृतित्व में समाहित एक अद्भुत द्विभाषी रचनाकार से मेरा परिचय नया नहीं है। 1977 में मुरादाबाद आने से पूर्व उनके हिंदी कवि से मेरा परिचय स्थापित हो चुका था। डॉ. शुक्ल की रचनाओं के केन्द्र में मुख्यत: दर्शन है। उनकी कविताओं में एक कथात्मक विन्यास मिलता है। वे एक समर्थ कवि हैं।"
मुख्य अभ्यागत के रूप में बाल संरक्षण आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता का कहना था - "उनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति और दर्शन का समावेश देखने को मिलता है।"
विशिष्ट अभ्यागत के रूप में अंतर्राष्ट्रीय साहित्य कला मंच के अध्यक्ष डॉ. महेश दिवाकर ने कहा -
"बातचीत व्यवहार में, अपनेपन की गंध।
मिलने पर ऐसा लगे, जन्मों का संबंध।
अंदर है हलचल बहुत, बाहर है ठहराव।
जितनी हल्की चोट है, उतना गहरा घाव।।
ये पंक्तियाॅं डॉ. आर.सी शुक्ल के व्यक्तित्व पर सटीक उतरती हैं। वह हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं के अद्भुत रचनाकार हैं।"
विशिष्ट अभ्यागत प्रख्यात हास्य व्यंग्य कवि डॉ. मक्खन मुरादाबादी ने कहा - "उनकी रचनाओं में सामाजिक विसंगतियों तथा मानवीय जीवन का मनोवैज्ञानिक यथार्थ है।"
विशिष्ट अभ्यागत एमएच डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर अरोरा ने कहा - "उनकी कविताएं भावुकता, वैचारिकता और जीवन के अनुभवों का शानदार दस्तावेज़ हैं।"
इस अवसर पर डॉ. आर. सी. शुक्ल ने अपने कई गीत प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा...
हम कैसे यात्रा करें हमारे जीवन में संत्रास न हो
चिंता होना कोई भारी बात नहीं विषाद न हो ।
कवयित्री निवेदिता सक्सेना ने उनका गीत प्रस्तुत करते हुए कहा.…
पहुॅंच गया आरंभ अंत तक जब तुमने चाहा
सूने घर में दीप जल गया जब तुमने चाहा।
संस्थापक डॉ. मनोज रस्तोगी ने संस्था की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला जबकि राजीव प्रखर ने डॉ. शुक्ल का जीवन परिचय प्रस्तुत किया।
डॉ. शुक्ल के कृतित्व पर आलेख वाचन करते हुए चर्चित नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने कहा - "उनकी कविताएं दर्शन की पगडंडियों पर दैहिक प्रेम अनुभूतियों और परालौकिक आस्था के बीच की उस दिव्य यात्रा की साक्षी हैं जिसे कवि ने अपने कल्पना लोक में वैराग्य के क्षितिज तक जाकर जिया है।"
साहित्यकार अम्बरीष गर्ग ने कहा - "वैचारिक स्तर पर डॉ. शुक्ल की कविताएं विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर, जयशंकर प्रसाद और कबीर की परंपरा को आगे बढ़ाती हैं।"
कवयित्री हेमा तिवारी भट्ट के आलेख का वाचन दुष्यंत बाबा द्वारा किया गया जिसमें उनका कहना था - "उनकी रचनाएं कठोर यथार्थ और कोमल कल्पना, योग और वियोग, श्रृंगार और वैराग्य के मानसिक द्वन्द्व को उजागर करती हैं।
डॉ. मनोज रस्तोगी एवं योगेन्द्र वर्मा व्योम के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य रूप से योगेन्द्र पाल विश्नोई, डॉ. राकेश चक्र, मोहन राम मोहन, डॉ संतोष कुमार सक्सेना, डॉ रीना मित्तल, सुमन कुमार अग्रवाल, रविंद्र कुमार, पूजा राणा,राम सिंह निशंक, रामवीर सिंह, श्रीकृष्ण शुक्ल, शिशुपाल 'मधुकर', शिखा रस्तोगी, धवल दीक्षित, डॉ. मधु सक्सेना, उमाकांत गुप्ता, आर. के. शर्मा, डॉ. मुकेश गुप्ता, रूपचंद मित्तल, ओंकार सिंह ओंकार, राहुल सिंघल, रघुराज सिंह निश्चल, विवेक निर्मल, मोनिका सदफ चन्द्रहास, अनुराग शुक्ला, अमर सक्सेना, राघव गुप्ता, डॉ कृष्ण कुमार नाज़, मनोज मनु, डॉ. मीरा कश्यप, अभिव्यक्ति सिन्हा आदि साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे। आभार-अभिव्यक्ति डॉ. मनोज रस्तोगी द्वारा की गयी।
बहुत बढ़िया समाचार संप्रेषण... हार्दिक बधाई ---डा अशोक रस्तोगी.अफजलगढ़.बिजनौर
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