जिसने समाज का न किया काम देखिए।
सेवा का वो ही पा रहा इनआम देखिए ।।
मेहनतकशों के हाथ लगीं रूखी रोटियां,
पर कामचोर खाते हैं बादाम देखिए ।।
भ्रष्ट आचरण से लोग जो दौलत कमा रहे,
भुगतेंगे वे ज़रूर ही अंजाम देखिए ।।
ठहरी हुई पगार है, ये सोचिए मगर,
चीजों के चढ़ गए हैं बहुत दाम देखिए।।
माना अकेले आप बहुत दिन चले मगर ,
चलकर हमारे साथ भी दो गाम देखिए।।
साक़ी ने मय पिलाई हर-इक रिंद को मगर,
मुझको न फिर भी उसने दिया जाम देखिए।।
'ओंकार' भाग-दौड़ में गुज़री है ज़िन्दगी ,
क्या मिल सकेगा मुझको भी आराम देखिए ।।
✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'
1- बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,
मुरादाबाद 244103
उत्तर प्रदेश, भारत
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