शनिवार, 10 दिसंबर 2022

मुरादाबाद मंडल के जनपद संभल (वर्तमान में मेरठ निवासी)के साहित्यकार सूर्यकांत द्विवेदी का नवगीत .....क्या लिखूं मैं अब व्यथा


कह दिया है सभी कुछ तो 

क्या लिखूं मैं अब व्यथा 

हर व्यथा के सामने है 

अनकही मेरी कथा  


हाथ में मौली बंधी है

आंख है अपनी ठगी

भाल पर मंगल तिलक है 

हाट पर बोली लगी 

हर वृथा के सामने है 

अनकही मेरी कथा।। 


खा रही है जिंदगी को

सांस दीमक की तरह

तेल अपने पी गए सब 

एक दीपक की तरह 

हर कुशा के सामने है ।

अनकही मेरी कथा।।


गीत, मुक्तक, छंद, गजलें 

कोश कविता के गढे 

हर विमोचन कह रहा है 

पृष्ठ-पृष्ठ चेहरे पढ़े  

हर प्रथा के सामने है  

अनकही मेरी कथा।। 


कह दिया है सभी कुछ तो

क्या लिखूं मैं अब व्यथा।।


✍️ सूर्यकांत द्विवेदी 

मेरठ 

उत्तर प्रदेश, भारत



2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया रचना.... डॉ अशोक रस्तोगी अग्रवाल हाइट्स राजनगर एक्सटेंशन गाजियाबाद

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