पत्रकारिता मेरा ज़नून था। अपने छात्र जीवन से ही मैं पत्रकारिता की तरफ उन्मुख हो चुका था। एक दिन मध्य रात्रि को मेरे पास फोन आया कि सरकारी जिला अस्पताल में प्रसव पीडा़ से एक नवविवाहिता तड़प रही है। उसका तुरंत आपरेशन होना है। लेडी डाक्टर आपरेशन करने के लिए दस हजार रुपये मांग रही है। मैं स्टोरी कवर करने सीधा अस्पताल पहुंच गया। डाक्टर व अस्पताल के कर्मचारी मुझे पहचानते थे। इसलिए मैने महिला के पति की कमीज की जेब में आवाज रिकार्डिंग की डिवाईस रख कर एक बार फिर उन्हें बात करने भेज दिया। डाक्टर की रिश्वत मांगने और डांटने डपटने की सारी रिकार्डिंग हो चुकी थी। मैने घटना स्थल के दो चार चित्र लिये और फिर डाक्टर के पास पहुंचा। मुझे देख कर वह सन्न रह गई। पत्रकार का इतनी रात्रि में अस्पताल में आना।उन्होंने तुरंत मुझे अपने चेम्बर में बैठाया और बोली- शरद जी आप कैसे इतनी रात में? मैं बोला डाक्टर साहब- "यह जो महिला पेशेन्ट है। इसके बारे में बात करनी है।" बस इतना कहना था कि उसने मुझसे बडी आत्मीयता से बात की और महिला का कल सुबह आपरेशन करने को कहा। मैं बोला - "यह बहुत गरीब है। दर्द से तड़प रही है। आप इनसे दस हजार रुपए की रिश्वत मांग रहीं हैं यह उचित नहीं है। आप इनका आपरेशन करिये आपको जो भी चाहिए मैं दूंगा।" इतना सुनते ही वह भड़क कर कहने लगी - " कौन रिश्वत मांग रहा है? जिसके मन की बात पूरी न करो वह डाक्टरो पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा डालता है और आप भी ऐसे लोगों की तरफदारी कर रहें हैं।"
मैंने उन्हें पूरी रिकार्डिंग सुना डाली और यह कह कर चला आया। आपका जो मन हो वह करें। मुझे कल के लिए समाचार का मसाला मिल गया है। वह मुझे रोकती रही और मैं वापस घर आ गया। मेरे पीछे-पीछे कुछ देर बाद वह मेरे घर आ पहुंची। उनके हाथ में एक लिफाफा था। मेरी मेज पर रख कर बोली - "मैं बहुत तनाव में हूं और अभी जाकर मुझे उस युवती का आपरेशन करना है। मैं आपके हाथ जोड़ती हूं।अब इस बात को आगे मत बढा़ओ।" वह रुंआंसी हो उठी थी। गलती की माफी चाहती हूं। इतना कह कर बिना मेरी कुछ सुने वह तेजी के साथ वापस चली गई। मैंने लिफाफा देखा तो उसमें पच्चीस हजार रुपये रखे थे। मैं बहुत परेशान हो गया। कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करुं? मैने निर्णय लिया कि यह रुपये डाक्टर को वापस कर दूंगा और मैंने डाक्टर को तुरंत फोन कर इस निर्णय की जानकारी भी दे दी। इस खबर को मैंने अखबार में छपने को नहीं दी और चादर तान कर सो गया।
अगले दिन किसी अन्य पत्रकार ने अपने अखबार में सुर्खियों में खबर छापी 'अंधेरे में टार्च की रोशनी में लेडी डाक्टर ने दर्द से छटपटाती गरीब महिला का सफल आपरेशन किया। जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। डाक्टर के इस कार्य की चारों ओर खूब प्रशंसा हो रही है।'
उस घनी अंधेरी रात में सब सो रहे थे। मगर भ्रष्टाचार का गंदा खेल चल रहा था। इस खेल में दर्द, छटपटाहट, आंसू, रुपया-पैसा, स्वार्थ,शोषण एवं लालच सबकी अपनी-अपनी भूमिका थी। परन्तु सदाचार, मानवता और संवेदना वहां से गायब थी।
✍️धन सिंह 'धनेन्द्र'
श्री कृष्ण कालोनी, चन्द्र नगर
मुरादाबाद पिन -244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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