जब-जब बादल जल बरसाए
जीवन में नव रस भर जाए
पेड़ों से लिपटी लतिकाएँ ,
आलिंगन कर प्रेम बढ़ाएँ ।
दीखे नहीं खेत तब खाली ,
चहुँ-दिसि ही दीखे हरियाली ।
हरियाली हर मन को भाए,।।
रंग-बिरंगी चिड़ियाँ बोलें ,
कानों में मिश्री -सी घोलें।
आँखें हिरनी का शिशु खोले,
और हवा पुरवैया डोले।
नाचे मोर पपीहा गाए।।
खुश हो ज्वार-बाजरा झूमें,
बढ़कर आसमान को चूमें।
जब पीती है जी भर पानी ,
खड़ी ईख को मिले जवानी ,
हरा धान भीगे मुस्काए।।
शुभ होता बादल का आना ,
रिम-झिम जल बरसाना,
पके आम पक जाए निबोरी,
तब झूले पर झूले गोरी ,
हर मन ख़ुशियों से भर जाए।।
✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,
मुरादाबाद 244103
उत्तर प्रदेश, भारत
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