रविवार, 31 जुलाई 2022

मुरादाबाद के साहित्यकार ओंकार सिंह ओंकार का गीत ---


जब-जब बादल जल बरसाए 

जीवन में नव रस भर जाए 


पेड़ों से लिपटी लतिकाएँ ,

आलिंगन कर प्रेम बढ़ाएँ ।

दीखे नहीं खेत तब खाली ,

चहुँ-दिसि ही दीखे हरियाली ।

हरियाली हर मन को भाए,।।


रंग-बिरंगी चिड़ियाँ बोलें ,

कानों में मिश्री -सी घोलें।

आँखें हिरनी का शिशु खोले,

और हवा पुरवैया डोले।

नाचे मोर पपीहा गाए।।


खुश हो ज्वार-बाजरा झूमें,

बढ़कर आसमान को चूमें।

जब पीती है जी भर पानी ,

खड़ी ईख को मिले जवानी ,

हरा धान भीगे मुस्काए।।


शुभ होता बादल का आना ,

रिम-झिम जल बरसाना,

पके आम पक जाए निबोरी,

तब झूले पर झूले गोरी ,

हर मन ख़ुशियों से भर जाए।।


✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'

1-बी-241 बुद्धि विहार, मझोला,

मुरादाबाद  244103

उत्तर प्रदेश, भारत


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें