गुरुवार, 28 जुलाई 2022

मुरादाबाद मंडल के गजरौला (जनपद अमरोहा) की साहित्यकार रेखा रानी की लघुकथा ...हर घर तिरंगा


सावन का महीना था आसमान में चांद बेचारा बार - बार कोशिश कर रहा था कि काश मैं अपना चेहरा धरती को दिखा सकूं लेकिन ज़िद बादलों को भी थी कि चांद को किसी भी हाल में जीतने नहीं देना है यह सब बेचारी नंदिनी देख रही थी और खोज रही थी अपने चांद को जो अभी दो महीने पहले ही देश की सरहद से तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा था ऐसा लिपटा तिरंगे में कि बस फिर दिखाई न दिया ...........तभी स्कूल के ग्रुप पर मैसेज आया कि .........आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में इस बार सरकार द्वारा हर घर तिरंगा घर- घर तिरंगा कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास एवं वृहद स्तर पर मनाया जाना है, सुबह प्रभात फेरी निकाली जाएगी, उसके लिए....  " विजयी विश्व तिरंगा प्यारा* गीत याद कर लेना क्योंकि आपकी आवाज़ में वो जोश है जो देखते ही बनता है ।" 

हो भी क्यों न आख़िर शहीद की पत्नी जो हूं ।....यादों में आए आंसुओं को गर्व से सहेजते हुए नंदिनी सुबह के कार्यक्रम की तैयारी में जुट गई।

✍ रेखा रानी

विजय नगर गजरौला ,

जनपद अमरोहा, उत्तर प्रदेश, भारत

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