श्रावण शुक्ला तीज को, देख अनोखे रंग।
झूलें झूला झूम के, सब सखियन के संग।।
सज-धज कर तैयार हो,चलीं मायके बाग।
हर शाखा झूला पड़े, गावें नए-नए राग।।
गौरी का पूजन किया, और पकाई खीर।
मन खुश इतना तीज पर, बची कोई न पीर।।
महावर एड़ी धरी, पहनीं चूड़ी हाथ।
मेला देखन वो चली, बटुआ लेकर साथ।।
हर हाथ मेंहदी रची, खा मीठे पकवान।
और खुशी से झूमते, बड़े-बड़े धनवान।।
✍️ अतुल कुमार शर्मा
सम्भल
उत्तर प्रदेश, भारत
श्री मनोज रस्तोगी जी -जिन्दाबाद
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