देखो ये धरती-गगन, मना रहे हैं तीज।
बढ़ा रहे हैं प्रीति को , इस सावन में भीज।।
झूला झूलें सब सखी , गायें सावन गीत ।
बदरा अपने संग तू , ले आ मेरा मीत ।।
खनके चूडी हाथ में , हिना हुई है लाल।
मिल जायेंगे मीत भी , सखी मुझे इस साल ।।
कूके कोयल आम पर , गाये मीठे गान।
झूले अब दिखते नहीं , नयी सदी की आन ।।
बिन्दी ,काजल ,चूडियांँ , लाओ सब सिंगार ।
दर्पण झाँकूँ मैं सजूँ ,तीजों के रविवार ।।
✍️ प्रीति चौधरी
गजरौला,अमरोहा
उत्तर प्रदेश, भारत
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