शनिवार, 30 जुलाई 2022

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ रीता सिंह के पांच दोहे


सारंगों का साथ ले ,आया सावन मास

झूम उठे तरुवर हरे, करते पल्लव रास ।


हरी भरी धरती सजी, नीर बना उपहार

बूंदें रिमझिम गा रही ,मनहु राग मल्हार ।


दादर धुन में हैं कहें, करो न घन विश्राम ।

जब तक भरें न पोखरे, बरसो तुम अविराम ।


सखी सब हैं झूल रहीं , भाभी गायें गीत ।

मोहे मन बूँदें बड़ी,आ जाओ मनमीत ।


अमुआ डाली पर सजी, सुन्दर रेशम डोर 

झूला झूलें बेटियाँ , लुभा रहीं मन मोर ।


✍️ डा. रीता सिंह 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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