शनिवार, 30 जुलाई 2022

मुरादाबाद मंडल के कुराकावली (जनपद संभल ) निवासी साहित्यकार त्यागी अशोका कृष्णम के ग्यारह दोहे .....


तपते सूरज दूर हट, बन मत रिश्तेदार।

सावन आया द्वार पर, ठंडी लिए फुहार।। 1।।


सावन बाबू साल भर, कहाँ रहे दिन रात।

लुटे-पिटे से लग रहे, साथ नहीं बरसात।। 2।।


पागल बदली खूब रह, इसके-उसके साथ।

थक जाए तब थामना, मुझ सावन का हाथ।। 3।।


सावन तू तो आलसी, करे सिर्फ आराम।

मुझ बदली को कर दिया, बेमतलब बदनाम।। 4।।


सुन ले बादल काम की, एक हमारी बात।

अगर बरसना, तो बरस, मत कर काली रात।। 5।।


पोखर में पानी नहीं,गुम दादुर के गान।

सावन अब तू ही बता, क्या तेरी पहचान।। 6।।


सुनरी बदली बावली,जा कर अपना काम।

बिन सावन किस काम की,उससे तेरा नाम।। 7।।


चोली चूनर झूलकर,मना रही है तीज।

खुश हो झोंटे दे रहे,तहमद और कमीज।। 8।।


सावन के रंग में रंगी,भीगी मस्त बहार।

बनी ठनी पुरवा दुल्हन,गाती गीत मल्हार।। 9।।


झोंटे खाती झूल के,यादें थामें हाथ।

पटरी पर बैठी मगर,मन साजन के साथ।। 10।।


प्यार भरी हर बात में,तानों की बौछार।

रूठे सावन के लिए,तीजो का श्रृंगार।।11 ।।


✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्

कुरकावली, संभल 

उत्तर प्रदेश, भारत

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