सुंदर झरना जल बरसाता ।
कलकल करके बहता जाता।
सूरज के रंगों से मिलकर
बन जाता रंगों का संगम,
कभी न रुकता बाधाओं से
राहें हों कितनी भी दुर्गम,
हर पत्थर को भेद-भेदकर
आगे चलता , वेग बढ़ाता ।
कोमल जल है फिर भी देखो
दूर हटाता पत्थर को भी,
मृदुता का आदर करने का
पाठ पढ़ाता भूधर को भी,
जल की मृदुतामय दृढ़ता को
भूधर भी तो शीश झुकाता ।
हे नन्हे-प्यारे मानव तुम
दृढ़ विश्वास बनाए रखना ,
कष्ट पड़ें चाहे कितने भी
मानवता से कभी न हटना ,
पक्का- नेक इरादा ही तो
हर मुश्किल को सरल बनाता ।
✍️ ओंकार सिंह 'ओंकार'
1-बी-241 बुद्धि विहार ,मझोला,
मुरादाबाद 244103
उत्तर प्रदेश, भारत
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जब भी मौका मिला पिता ने, एक नया तब पाठ पढ़ाया।
छोटे बड़े सभी कर्मों में , छिपे ज्ञान का सार बताया।
सबको बैठाकर दादा जी , समय-समय पर यज्ञ कराते।
पढ़कर मन्त्र डालते वे घी, सबसे सामग्री डलवाते।
इसका कारण जब पूछा तो, पापा ने समझाया मुझको,
यज्ञ कर्म है एक अनोखा, जिससे कई लाभ हम पाते।
हुए चिकित्सा में शोधों ने , इसे कर्म उत्तम बतलाया।
जब भी मौका मिला पिता ने, एक नया तब पाठ पढ़ाया।
यज्ञ कर्म जब करता मानव, निकट प्रकृति के खुद को पाता।
हो जाते रोगाणु नष्ट सब, सभी वायरस मार गिराता।
जब-जब होता यज्ञ धरा पर , आक्सीजन की मात्रा बढ़ती,
घी- सामग्री के जलने से , वातावरण शुद्ध हो जाता।
वैज्ञानिक भी मान गये हैं, यज्ञ और मन्त्रों की माया।
जब भी मौका मिला पिता ने, एक नया तब पाठ पढ़ाया।
पावन कर्म यज्ञ का जो जन, करता है अपने जीवन में।
भाव जगाता पूर्ण विश्व की, रक्षा का वह अपने मन में।
ध्वनि तरंग को मन्त्रों की जब, बड़े-बड़े वैज्ञानिक मापे,
हुए बहुत आश्चर्यचकित वे, मिला गूँजता ओम गगन में।
सच्चे मन से यज्ञ किया जो, इसका फल वह निश्चित पाया।
जब भी मौका मिला पिता ने, एक नया तब पाठ पढ़ाया।
✍️मनोज मानव
बिजनौर
उत्तर प्रदेश, भारत
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होली पर बरसात हो , बरसें ऐसे रंग
नीले पीले बैंजनी , रह जाएँ सब दंग
रह जाएँ सब दंग ,पेड़ पर गुँझियाँ आएँ
तोड़ें बच्चे ढेर ,पेट भर – भर कर खाएँ
कहते रवि कविराय ,कन्हैया करो ठिठोली
उड़ें हवा में लोग , मनाएँ नभ में होली
✍️ रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल 9997615451
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माँ देखो-देखो बिल्ली आईं।
दे दो इसको दूध - मलाई।।
बोर्नबीटा का दूध पिला दो।
बिस्कुट-चाकलेट दिला दो।।
लंच-डिनर खूब खिला दो।
खिला-पिला इसे हिला लो।।
वरना ये उत्पात करेगी
खाकर चूहे पेट भरेगी
हो ना जाये यह मांसाहारी।।
बिल्ली मौसी लगती प्यारी।।
✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र'
चन्द्र नगर, मुरादाबाद
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सबसे अच्छा पढ़ना पढ़ाना,
सबसे बुरा आपस में लड़ाना।
घर में जो भी आये अतिथि,
इज्ज़त से ही उसे बिठाना।
पहले उसको पानी पिलाना,
फिर मम्मी पापा को बुलाना।
मृदु भाषी बनकर बच्चों,
सबके दिल में जगह बनाना।
कटु वचन न कहना किसी से,
जो रूठा है उसे मनाना।
नानी के घर भी जाना तो,
साथ में बस्ता लेकर जाना।
खेल कूद भी बुरा नहीं है,
लेकिन पहले पढ़ना पढ़ाना।
✍️कमाल ज़ैदी "वफ़ा"
सिरसी (संभल)
मोबाइल फोन 9456031926
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माना मैं नन्हीं बच्ची हूं,
किचिन है लेकिन मेरा बढ़िया
इसमें खाना शुद्ध मिलेगा,
फलाहार भी खूब मिलेगा ।
नवरात्रि के दिन है तो क्या
कूटू-मेवा खीर मिलेगी
किचिन में रखती साफ-सफाई
खूब मिलेगी दूध मलाई ।
दादी दादा ,मम्मी डैडी
या कोई हों अंकल आंटी
माता के है दिन ये सारे
गाएं भजन सभी मिल सारे
महिमा न्यारी जग माता की
बोलें सब मिल जय माता की ।
✍️ उमाकान्त गुप्त
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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मन करता है हम सब बच्चे मिलकर फौज बनाऐं!
सुबह सवेरे नगर नगर में, रोज प्रभाती गायें!
भेदभाव और ऊंच नीच का, मन से भेद मिटायें!
एक बने और नेक बने की, घर घर अलख जगाएं!
मां बाबू के संकट में हम, उनका हाथ बटाएं !
अगर देश के काम आ सकें, तो सीमा पर हम जाएं!
घायल सैनिक जो हों, उनकी सेवा में लग जाएं !
देश की खातिर लिए तिरंगा, आगे बढ़ते जाएं!
अवसर मिले हमें भी तो, हम हंस कर प्राण गवाएं!
लिपट तिरंगे में हम अपना, जीवन सफल बनाएं!!
✍️अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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चीं चीं चीं चीं गाए चिड़िया
दाना चुग-चुग खाए चिड़िया
मुनिया उसको पकड़ न पाए
फुर -फुर है उड़ जाए चिडिय़ा ।
चुन चुन तिनका लाए चिड़िया
सुंदर नीड़ बनाए चिड़िया
उड़ती फिरती कसरत करती
हिल-मिल प्यार बढ़ाए चिड़िया ।
सुबह सवेरे आए चिड़िया
मीठा गीत सुनाए चिड़िया
राजू जगो भोर है प्यारी
सबके मन को भाए चिड़िया ।
✍️डॉ रीता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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जंगल में क्यों मची है धूम
हलवा पूरी बंटी है खूब
हाथी भालू चीता बंदर
नाच रहे सब मस्त कलंदर
चीं चीं चिड़िया तान लगाती
कोयल मधुर गीत सुनाती
भालू ढोलक खूब बजाता
बंदर उछल उछल मुस्काता
जैसे परीक्षाएं हो गई खत्म
नाच रहे सब मस्त मलंग
✍️ मीनाक्षी वर्मा
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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नटखट भैया गुस्से में है,
कैसे उसे मनाए दीदी।
वैसे इतना प्यारा देखो,
जब चाहे घर पर आ जाये।
अगर समय हो तो जी भर कर,
भेजा भी सबका खा जाये।
मगर व्यस्तता भी जीवन में,
क्या उसको समझाए दीदी।
नटखट भैया गुस्से में है,
कैसे उसे मनाए दीदी।
खैर खबर लेने की सबकी,
जब-जब उसने फ़ोन घुमाया।
भागा उल्टे पैरों देखो,
मायूसी का दंभी साया।
बैठा भूखा गाल फुलाकर,
क्या अब खुद भी खाये दीदी।
नटखट भैया गुस्से में है,
कैसे उसे मनाए दीदी।
लो जी एक तरीका सुझा,
बैठक सबकी आज जमाएं।
सुनना और सुनाना भी हो,
नाचें कूदें खाएं-गाएं।
अगर न मुस्काया फिर भी वो,
सोच-सोच घबराए दीदी।
नटखट भैया गुस्से में है,
कैसे उसे मनाए दीदी।
✍️ राजीव प्रखर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
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