बुधवार, 1 मार्च 2023

मुरादाबाद की साहित्यकार डॉ श्वेता पूठिया की लघुकथा ....हार या जीत


दौरे के बाद राधा अभी अभी आफिस आकर बैठी ही थी कि फोन आया मैडम आप तुरंत घर आइये दुर्घटना हो गयी। इससे पहले वह कुछ पूछती, फोन कट गया।ड्राइवर से गाडी़ निकलवा कर वह घर पहुंची। बाहर पुलिस की और लोगो की भीड़ जमा थी।घबराहट के साथ नीचे उतरी एस एस पी साहब वहीं थे । आगे आकर बोले,"आपके पति ने आत्महत्या कर ली है"।वह सन्न रह गयी। रितेश से कितनी बार कहा कि वह अब अच्छी नौकरी पर है।उसे नौकरी छोड़ देना चाहिए।तभी सास ससुर भी आ गये।सास रोते रोते बोली,"मेरे बेटे ने तुझे पढा़या लिखाया, इस लायक बनाया और तूने ही उसको मरने पर मजबूर कर दिया"।वह स्तम्भित  थी।एक पल में उसकी दुनिया उजड़ गयी।

      सच था कि जब उसकी शादी हुई ,उसने 12वीं पास की थी। पति सरकारी विभाग में चपरासी थे ।परिवार ने शादी कर दी ।मगर जब उसने रितेश से आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो वह खुशी खुशी तैयार हो गया।दो बच्चों के जन्म और परिवार की जिम्मेदारी के साथ वह पढ़ती रही।और प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण कर अधिकारी बन गयी।मगर उस पर बिजली तब गिरी जब उसकी पोस्टिंग उसी कार्यालय में हुई जहाँ उसके पति चपरासी थे। बडी विषम स्थिति थी।उसने कहा कि वह नौकरी छोड़ दे।मगर रितेश न माना।उसने उनका स्थानांतरण दूसरे आफिस में करवा दिया। मगर उसके साब जब मैडम से मिलने आते तो बड़ी विषम परिस्थिति हो जाती। रितेश उन्हें देखकर खडा़ हो जाता।अपने चपरासी को मैडम के पति होने के नाते नमस्कार करना उन्हें बडा नागवार गुजरता था। घर का वातावरण भी कभी कभी बडा़ बोझिल हो जाता।वह बहुत प्रयास करती मगर स्थिति मे संतुलन लाना कठिन था।फिर भी वह रितेश के सामने पत्नी ही रहने की कोशिश करती।

     किंतु नये साल की पार्टी में अग्रिम पक्ति मे बैठे रितेश को नशे मे धुत अधिकारी द्वारा अपमानित करने पर वह पार्टी छोड़कर आ गयी।रितेश ने दो दिन की छुट्टी ले ली थी।वह उसे नौकरी छोड़कर व्यापार करने को मना रही थी।मगर रितेश ये कदम उठा लेगा उसे यकीन नहीं हो रहा था।

     रितेश का यूं जाना ,उसकी सबसे बड़ी हार थी।जब नौकरी लगी थी तब उसे लगा कि वह जीत गयीं।आज वह समझ नहीं पा रही थी कि वह हार गयी या जीत गयीं।

✍️ डॉ श्वेता पूठिया

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें