माता के हर रूप में, ममता का भंडार।
कृष्णम् बच्चों को सदा, करती लाड़ दुलार।।1।।
मातृशक्ति का जो करें, जन, मन से गुणगान।
चाकर बन उनके रहें, सुख के सब सामान।।2।।
भक्तों को जगदंबिका, होती कोमल फूल।
दुष्टों को चुभती मगर, जैसे घातक शूल।।3।।
पूछ रहा माँ आपसे, मैं बालक निष्पाप।
किन कर्मों के भोगता, जन्म-जन्म अभिशाप।।4।।
दया करो माँ शारदे, फटी बिवाई पाँव।
उखड़ी-उखड़ी साँस है, दूर बहुत है गाँव।।5।।
माँ तुमने सब कुछ दिया, किए बहुत उपकार।
नमन आपको मैं लिखूँ, अगणित बारम्बार।।6।।
क्योंकर माँ के सामने, करनी ऊँची बात।
माता को सब कुछ पता, कैसी किस की जात।।7।।
आँसू मेरे कर रहे, आज मुझे बदनाम।
आँचल में देकर शरण, हर लो कष्ट तमाम।।8।।
प्राणों तक की भी कभी, माँग न पाए भीख।
कृष्णम् को दे दीजिए, माँ इतनी सी सीख।।9।।
✍️त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (30-03-2023) को "रामनवमी : श्रीराम जन्मोत्सव" (चर्चा अंक 4651) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हृदय से बहुत बहुत आभार आदरणीय ।
हटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजय माता दी 🙏
रामनवमी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत बहुत आभार आपका ।
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