हम जंगली जानवर हैं
हमारे जंगल में भी
अभिव्यक्ति की है आजादी
लेकिन कोई किसी पर
अकारण नहीं चिल्लाता है
ना किसी का अपमान करता है
ना किसी की भावनाओं का
मजाक उड़ाता है
ये हमारे
जंगल की संस्कृति है
सारे जानवरों में
इसे स्वेच्छा से
अपनाने की प्रवृति है
जब कोई इंसान
अभिव्यक्ति की आजादी
के नाम पर
दूसरे के चरित्र पर
कीचड़ मलता है
हमको हमारा
जंगली जानवर होना
बहुत अच्छा लगता है।
✍️ डॉ पुनीत कुमार
T 2/505 आकाश रेजीडेंसी
मुरादाबाद 244001
M 9837189600
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