"..... आप सब लोगों ने अगर यह देख लिया है तो मैं अब ब्लैक बोर्ड साफ कर दूं?"डाॅ लवानिया सर ने पूछा.
"हा हा हा हा हा हा" पूरी क्लास हंसी के ठहाकों से गूंज गई....कुछ लोगों ने कहा "हां सर पढ़ लिया है बिगाड़ दीजिए! "
"तो आओ अब पढ़ाई शुरू करें! " और बाॅटनी की पढ़ाई शुरू हूई बीच-बीच में शरारती लड़के हमेशा की तरह व्यवधान उत्पन्न करते रहे.... परंतु डाॅ लवानिया सर पूरे मनोयोग से पढ़ाने में लगे रहे .....
....डाॅ लवानिया सर देखने में सांवले खुदरा चेहरा परन्तु आत्मविश्वास से भरे हुए एकदम सरल स्वभाव वाले थे परंतु पढ़ाते बहुत अच्छा थे! गोल्ड मेडलिस्ट थे तो जो पढ़ने वाले बच्चे थे उन्हें बहुत पसंद करते थे और जो आवारागर्दी करने आते थे वे एक गढढों वाली नाशपाती का चेहरा बनाते और उस पर डाॅ यू सी लवानिया लिख देते ऐसा करके वह प्रोफ़ेसर का उपहास करते थे.....! खुराफात करने में सतीश त्यागी और रामप्रसाद मुख्य थे ये दोनों शरारत और गुंडागर्दी करते ही रहते थे दूसरे प्रोफ़ेसर तो प्रिंसिपल से शिकायत कर देते थे घरवालों तक को लेटर लिखवा देते थे यहां तक कि नाम भी कटवा देते थे परंतु डाॅ यूसी लवानिया उनमें से नहीं थे!
.......एक दिन किसी केस के सिलसिले में सतीश त्यागी और रामप्रसाद को तलाशती हुई पुलिस क्लास में आ पहुँची तब डाॅ यूसी लवानिया क्लास ले रहे थे परमिशन लेकर पुलिस वाले अंदर आए और पूछा सतीश त्यागी और रामप्रसाद किस तरह के लड़के हैं गुंडागर्दी करने वाले हैं या शरीफ..!यह बात उन्होंने क्लास में सबके सामने पूछी......
सभी सोच रहे थे कि डाॅ यूसी लवानिया आज अपने मन की भड़ास निकाल कर ही दम लेगें..और इन दोनों को फंसा ही दम लेंगे उन दोनों के चेहरे भी पूरी तरह उतर गए थे कि आज बचने वाले नहीं जेल जाना ही पड़ेगा परंतु ये क्या?....ऐसा नहीं हुआ डाॅ यूसी लवानिया ने कहा " ये दोनों बच्चे मेरी क्लास के सबसे शरीफ छात्र हैं अपना काम हमेशा मन लगाकर करते हैं यह सुनकर पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगाई रिपोर्ट लगाई और लौट गई अगले दिनों में कई दिनों तक सतीश त्यागी और रामप्रसाद क्लास में नहीं आए....परंतु इस बीच ऐसा हुआ की डाॅ यूसी लवानिया को जापान की किसी यूनिवर्सिटी ने अपने यहां सलेक्ट कर लिया और उनके जाने की खबर पूरे कॉलेज में फैल गई अंतिम दिन डाॅ यूसी लवानिया क्लास में आए रोज की तरह ही क्लास ली और अंत में उन्होंने स्टूडेंट्स से विदा लेते हुए कहा आप लोगो के साथ बहुत सुन्दर समय गुजरा,अब मेरी जाॅब विदेश में लग गयी है बच्चों मेरा पूरा प्रयास रहा कि मैं अपने प्रत्येक छात्र को ठीक से पढ़ा सकूं परंतु पढ़ाते समय शिक्षक को थोड़ा सख्त भी होना पड़ता है इस लिए पढाने के दौरान मुझसे जो भी गलती हुई हो उसे क्षमा करना! और आगे भी अपनी पढाई ऐसे ही मन लगा करना....!और जीवन में अपने साथ ही अपने माता पिता का नाम ऊंचा करना!
उनका ये कहना था कि सतीश त्यागी एवं राम प्रसाद उनके चरण छूकर फूट फूट कर रो पड़े कक्षा में सभी की आंखे भीगी थीं.....
✍️ अशोक विद्रोही
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 8218825542
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