शत - शत नमन उन शहीदों को
भारत के सच्चे वीर सपूतों को
देश हित जो कुर्बान हो गये
इंकलाब जिंदाबाद कह गये।।
जग बदलूँ संकल्प धरा है
वीरों ने वलिदान वरा है
इस माटी की गन्ध बताती
सच सोने की तरह खरा है।
✍️ अशोक विश्नोई
मो 9458149223
..................................
मत व्यर्थ बहाओ तुम आँसू,
बेटा मेरा बलिदानी है,
मज़हब से क्या लेना उसको,
वह सच्चा हिंदुस्तानी है।
**************
साँसों में बारूदी शोले,
आँखों में भी अंगार बसे,
बोली हुंकार बमों जैसी,
हैं अस्त्र- शस्त्र संगीन कसे,
जीवन के पन्नों पन्नों पर,
लिखता नित नई कहानी है।
मत व्यर्थ बहाओ-------------
प्राणों का मोह नहीं उसको,
है स्वार्थसिद्धि की चाह नहीं,
दुश्मन के रणकौशल की भी,
किंचित उसको परवाह नहीं,
नित घोर संकटों से लड़कर,
पाता वह नई जवानी है,
मत व्यर्थ बहाओ----------
शव आया है आ जाने दो,
मैं बढ़कर माथा चूमूँगी,
बेटे की गौरव गाथा को,
लेकर दुनियाँ में घूमूंगी,
नत मस्तक जिसे तिरंगा हो,
वह मौत नहीं कुर्बानी है ।
मत व्यर्थ बहाओ-------------
दुश्मन के चिथड़े- चिथड़े कर,
उसने यह नाम कमाया है,
फहराकर स्वयं तिरंगे को,
भारत का मान बढ़ाया है,
वह ऐसा वैसा वीर नहीं,
माता की अमर निशानी है।
मत व्यर्थ बहाओ--------------
✍️ वीरेंद्र सिंह ब्रजवासी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
मोबाइल फोन नंबर 9719275453
.........................................
आज भी उनको नमन कर रही,
जनता हिंदुस्तान की।
युगों युगों तक कथा रहेगी,
वीरों के बलिदान की ।।
वीर शिवा राणा का भारत,
भारत झांसी रानी का।
बलिदानी वीरों का भारत,
यह हर हिंदुस्तानी का।।
जन जन के मन में बहती है,
देश प्रेम की रस धारा।
सबकी रहती सदा भावना,
हर जन के कल्याण की।
युगों युगों.....
नमन हमारा भगत सिंह को,
संसद में बम फोड़ दिया।
गोरों का सत्ता सिंहासन,
बहुत जोर झकझोर दिया।।
संसद में बम की घटना,
गोरे भीतर तक दहल गए।
देश के हित बाजी थी लगा दी,
भगत ने अपनी जान की।
युगों युगों......
राजगुरु सुखदेव निभाते रहे,
भगत का साथ सदा ।
इनको निज प्राणों से प्यारी,
भारत मॉं की धरा मृदा ।।
नमन उन्हें भारत हित,
प्राणों को न्यौछावर कर डाला।
भारत भूमि ऋणी सदा ही,
उस पावन बलिदान की ।
युगों युगों......
राजगुरु सुखदेव भगत को,
फांसी पर था चढ़ा दिया।
इनके बलिदानों ने क्रांति के,
रथ को आगे बढ़ा दिया।।
जिनके कारण भारत ने,
पाई है पावन आजादी ।
अपने लहू से कथा लिख गए,
भारत नव निर्माण की।
युगों.........
✍️ डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर
उत्तर प्रदेश, भारत
.............................
हम भारत के वो सच्चे परवाने हैं।
दुश्मन भी तो जिनका लोहा माने हैं।।
उलझे हैं वर्षों से जो मसले अब तक,
आपस में मिलकर हमको सुलझाने हैं।।
चुप रहने को जो समझे थे कमज़ोरी,
ताक़त भारत की अब वो पहचाने हैं।।
आ जाए सीमा पर गर दुश्मन कोई,
देने उसको लाशों के नज़राने हैं।।
भूले हैं भारत की जो गौरव गाथा,
वीरों के किस्से उनको बतलाने हैं।।
छुपकर पीछे से करते हैं जो हमले,
शोले अब उनके घर पे बरसाने हैं।।
झंडे में लिपटे जो वापिस घर आये,
ऐसे वीरों के *ममता* शुक्राने हैं।।
✍️ प्रो.ममता सिंह
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
........................................
मैं देश की हवाओं में
भूला हुआ इक राग हूं
मैं भारत की माटी का
विस्मृत सा अनुराग हूं
शहीद होकर भी मैं ही
यादों का गौरव गान हूं ।
रातों में जब सोते थे सब
तब मैं रातों में जगा यहां
देशहित का बना मैं प्रहरी
सीमाओं पर बस डटा रहा।
सभी ने मनाई जब दीवाली
मैं बच्चों व घर से दूर रहा
सबने जब खेली थी होली
मैं खुशियों के ख्वाबों में रहा।
माटी के कण कण को पूजा
उसकी श्वासो में जीता रहा
अनूठा सा आत्मबल था मेरा
मां के खातिर बस चलता रहा।
लेकिन
देशहित में देखे जो जो सपने
गद्दारों ने सब चकनाचूर किये
वन्दे मातरम् की हर परिभाषा
हो गई रक्त रंजित तूफान लिये ।
तिरंगे में लिपट लिपट देश का
हर शहीद दुनिया से विदा हुआ
फिर लौटूंगा इसी धरा पर
प्रभु से यही संकल्प हुआ
मेरा खून बहा तो भी क्या
मां का सिन्दूर तो अमर हुआ ।
✍️ सरिता लाल
मधुबनी
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
........................................
कैसे आजादी मिली, कैसे हिन्दुस्तान
कितने वीरों ने दिये, इस पर तन मन प्राण,,
सोचें तो मन हूंकता, जब जब करें विचार
वीरों ने कैसे सहे, तन पर सतत् प्रहार,
खुद अपने ही खून से, कैसे सींचा बाग़
कैसे अपनी मृत्यु को, बना लिया सौभाग
गोली, फाँसी, सिसकियां, जेलें, कोडे, मात
क्या क्या मुश्किल की वरण, कितनी झेलीं घात,,
तोपें,चाबुक, हथकड़ी, तन मसला बारूद
डिगा सका ना लक्ष्य से, थामे रखा वजूद,
तनिक नहीं परवाह की, गये स्वयं को भूल
इस स्वतन्त्रता के लिये, सब कुछ किया कबूल,
✍️ मनोज मनु
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
....................................
लिए गीत कुछ चल पड़े, बाॅंके वीर जवान।
गाते-गाते कर गये, प्राणों का बलिदान।।
प्राणों पर भी खेल कर, आई सबके काम।
वर्दी तेरे शौर्य को, बारम्बार प्रणाम।।
माटी मेरे देश की, कब से रही पुकार।
खड़ी न होने दीजिए, नफ़रत की दीवार।।
फहराकर रणभूमि में, पुनः तिरंगा आज।
रख लेना हे वीर जी, तुम राखी की लाज।।
---------
दुनिया के हर सुख से बढ़कर, मुझको प्यारे तुम पापा।
मेरे असली चंदा-सूरज और सितारे तुम पापा।
सोये आज तिरंगा ओढ़े, बहुत गर्व से कहता हूॅं,
मिटे वतन पर सीना ताने, कभी न हारे तुम पापा।
✍️ राजीव 'प्रखर'
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
.................…........
आओ आज हम सभी,
शहीदों को नमन करें!
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!
थाम के मुख में लगाम,
बांध शिशु को पीठ में,
बिजलियों सी चमकती थीं,
तेग रण के बीच में!
रक्त में नहाई लक्ष्मीबाई ,
काली रूप ले!
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!
क्या उबाल खून में था,
मृत्यु से डरे नहीं,
कट गए समर में किंतु,
आज तक मरे नहीं !
ऐसे राणा वीर शिवा,
कितना हम बयां करें !
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!
धर्म के विरुद्ध युद्ध ,
क्रांति की दिशा बना!
मन में था उबाल,
भाल देश प्रेम में ढला!
राजगुरु, सुखदेव, भगत,
हंस के सूली पर चढ़े!
देश के लिए जिए जो,
देश के लिए मरे!!
लें शपथ ये सरहदों पे,
शत्रु दन दनाये गर!
चीर देंगे वक्ष मातृभू पे
आंच आए गर !
शीश निज चढ़ाके ,
भारती की अर्चना करें!!
देश के लिए जिएंगे,
देश के लिए मरे!!
✍️ अशोक विद्रोही विश्नोई
412 प्रकाश नगर
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
.....................................…
बदन ये खाक हो जाये,वतन की राह में मरकर,
कटा दूँ सर खुशी से मैं,तिरंगा ओढ़ लूँ हँसकर,
हिफा़ज़त में तेरी माँ भारती कुछ ऐसा कर जाऊँ
शहीदों की किताबों में मेरा भी ज़िक्र हो अक्सर।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
............................................
मुझे अनुराग इससे है यही अभिमान मेरा हैं ।
उजाला ज्ञान का जिसने सदा जग में बिखेरा है
हुआ है धन्य यह जीवन यहां पर जन्म लेने से
यही तो स्वर्ग है मेरा जहां खुशियों का डेरा है ।
✍️ डॉ प्रीति हुंकार
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
.....................................
स्वतंत्रता की यज्ञवेदी में अपना रक्त चढ़ाया था।
उन वीरों की हुंकारों से हर ब्रिटिश घबराया था।
लाठी गोली कोड़े फाँसी सब हथकण्डे अपनाए।
आज़ादी के मतवालों को कुछ भी डरा ना पाया था।।
मातृभूमि की सेवा का प्रण मानों लेकर जन्मे थे।
कोई सुख दुःख कोई नाता इन्हें रोक नहीं पाया था।
स्वतंत्रता का ध्वज लेकर निकले थे माँ की सेवा में।
आज़ादी अधिकार हमारा सबको यही सिखाया था।
फाँसी के फंदों को चूमा और सूली पर झूल गए।
उन वीरों के बलिदानों पर सबने शीश झुकाया था।
मिली आज़ादी मुक्त हुए हम उनके ही प्रयासों से।
अगस्त पन्द्रह को स्वतंत्रता का हमने पर्व मनाया था।
आओ याद करें हम फिरसे उन सबके बलिदानों को।
जिन वीरों ने मातृभूमि पर अपना शीश चढ़ाया था।
जय हिन्द जय मातृ-भारती महामंत्र बस उनका था।
मौत गुलामी से अच्छी है ये सन्देश सुनाया था।
✍️ नृपेंद्र शर्मा "सागर"
ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद
................….....................
बहुत सब्र अब हो चुका,
अब तो सिंह दहाड़ो तुम,
भारत माँ का भाल है सुना,
अब तो मुकुट सँवारो तुम,
बहुत सियासत हो चुकी
न कोई अब शहादत हो
भारत मां के जयकारों में
न झूठी अब कोई इबादद हो
अहिल्या उद्धारक की नगरी का
अब तो उद्धार भी हो चुका,
अब काश्मीर को सँवारो तुम
जिसके होते माँ के टुकड़े हो गए
ऐसे बापू को कैसे राष्ट्रपिता का हकदार कहूँ,
जिन्होंने लूट मचाई, खून बहाया घाटी में
ऐसे गद्दारों को कैसे सच्चा पहरेदार कहूँ
अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत,
बांग्ला, भूटान वर्मा
फिर से एक सूत्र में जोड़ो तुम
बहुत सब्र अब हो चुका
अब तो सिंह दहाड़ो तुम
✍️ प्रशान्त मिश्र
मुरादाबाद 244001
उत्तर प्रदेश, भारत
..............................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें