बुधवार, 8 मार्च 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार राहुल शर्मा की ग़ज़ल ....अबकी होली में किसी खास को रंगना है मुझे

 


टूटी उम्मीद बुझी आस को रंगना है मुझे. 

और फीके पड़े उल्लास को रंगना है मुझे. 


मैं हूँ वासंती हवा रंग हैं सारे मुझमे. 

सरसों टेसू को अमलतास को रंगना है मुझे. 


कौन सा रंग है बेहतर मेरे रंगरेज बता. 

एक बेरंग से विश्वास को रंगना है मुझे. 


सात रंगों से अलग रंग की मुझको है तलाश. 

अबकी होली में किसी खास को रंगना है मुझे. 


नाम है भक्ति मेरा खुद मे अलग रंग हूँ मै. 

सूर को मीरा को रैदास को रंगना है मुझे. 


जिस्म से रंग तो एक रोज उतर जाएंगे. 

तेरी फितरत तेरे एहसास को रंगना है मुझे. 


मैं चितेरा हूँ मेरा काम बहुत बाकी है .

भूख गढ़नी है  अभी प्यास को रंगना है मुझे. 


चाहता हूँ कि इन्हें दूर से पहचान सकूँ. 

पीर को दर्द को संत्रास को रंगना है मुझे. 


✍️ राहुल शर्मा 

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

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