मुरादाबाद की साहित्यिक व साॅंस्कृतिक संस्था कला भारती की ओर से महानगर के साहित्यकार रामदत्त द्विवेदी को रविवार 15 जनवरी 2023 को आयोजित एक समारोह में कलाश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम मिलन विहार स्थित आकांक्षा विद्यापीठ इंटर कॉलेज में हुआ। राजीव प्रखर एवं आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ के संयुक्त संचालन में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बाबा संजीव आकांक्षी ने की। मुख्य अतिथि ओंकार सिंह ओंकार तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना मंचासीन हुए।
सम्मान स्वरूप श्री रामदत्त द्विवेदी को अंग वस्त्र, मानपत्र एवं प्रतीक चिन्ह अर्पित किए गए जबकि उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित आलेख का वाचन राजीव प्रखर द्वारा किया गया। अर्पित मान-पत्र का वाचन आवरण अग्रवाल श्रेष्ठ ने किया। कार्यक्रम के द्वितीय चरण में एक काव्य-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
काव्य-पाठ करते हुए सम्मानित रचनाकार रामदत्त द्विवेदी ने कहा -
इस चमकती ज़िन्दगी में प्यार छिनता जा रहा है।
चाॅंद से प्यारा था जो यार छिनता जा रहा है।
वरिष्ठ कवि रघुराज सिंह निश्चल ने देश को नमन किया -
विश्व में चाहे कहीं भी घूम लो,
सबसे अच्छा देश हिंदुस्तान है।
डॉ. मनोज रस्तोगी ने कहा -
सूरज की पहली किरण
उतरी जब छज्जे पर,
आंगन का सूनापन उजलाया।
चर्चित नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम ने सर्दी का सुंदर चित्र कुछ इस प्रकार खींचा -
छॅंटा कुहासा मौन का, निखरा मन का रूप।
रिश्तों में जब खिल उठी, अपनेपन की धूप।।
राजीव प्रखर ने आह्वान किया -
दिलों से दूरियाॅं तज कर, नये पथ पर बढ़ें मित्रों।
नया भारत बनाने को, नई गाथा गढ़ें मित्रों।
खड़े हैं संकटों के जो बहुत से आज भी दानव,
सजाकर श्रृंखला सुदृढ़, चलो उनसे लड़ें मित्रों।
मनोज मनु भी कुछ इस अंदाज़ में चहके -
सर्दी भी महंगाई सा, बढ़ा रही है ग्राफ।
हरिया दोनों से कहे, अब तो कर दो माफ।।
लोकप्रिय शायर ज़िया ज़मीर ने अपने सुंदर अशआर रखे -
ज़िन्दगी रोक के अक्सर यही कहती है मुझे,
तुझको जाना था किधर और किधर आ गया है।
मयंक शर्मा की अभिव्यक्ति थी -
रूप मन में तुम्हारा बसाने लगे।
मीत हम प्रीत के गीत गाने लगे।
जितेंद्र जौली ने हास्य रस की फुहार छोड़ी -
तुम पर न हम अपने पैसे लुटाते।
अगर बेवफा तुमको पहचान जाते।
अमित सिंह ने कहा -
नभ थल और जल में जो भारत का सम्मान बने।
हे प्रभु उनको हिम्मत देना जो भारत माॅं की लाज रखे।
ईशांत शर्मा ईशु ने जीवन के सत्य को उजागर किया -
जीवन के कठिन पथ पर चल रहा हूॅं मैं।
मगर देख लो सूरज ढल रहा हूॅं मैं।
कार्यक्रम में नकुल त्यागी, उत्कर्ष अग्रवाल, सचिन कुमार, कमल शर्मा आदि ने भी रचना पाठ किया। ईशांत शर्मा ईशु ने आभार अभिव्यक्त किया।
एक सार्थक आयोजन के लिए सभी को हार्दिक बधाई। कार्यक्रम में आप सभी की उपस्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण रही। ऐसे समर्पित साहित्य-साधकों के अभिनंदन का यह क्रम आगे भी जारी रहेगा। कला भारती का मानना है कि तन-मन-धन से साहित्य एवं समाज की सेवा में संलग्न ऐसी वयोवृद्ध, परन्तु प्रेरक विभूतियों का योगदान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण एवं साहित्यिक समाज के सम्मुख आते हुए, यथोचित अभिनंदन के योग्य है।
जवाब देंहटाएं🙏🙏🙏🙏🙏
हटाएं