शीशे पर चलना पड़ा,तलुवे लहूलुहान।
होठों पर ओढ़े रहे, फिर भी हम मुस्कान।। 1।।
जीवन अपने आप से,हारा एक जवान।
जहर न पीता वह अगर,बिछड़ रही थी जान।।2।।
अपनी सच्ची शान थी, छोटी सी पहचान।
जिसके पीछे पड़ गए,मानव कई महान।।3।।
माथे पर चोटें लिखी,गहरे पड़े निशान।
देव पुरुष सब मौन थे,बहरे सबके कान ।।4।।
हमको देखो ध्यान से,लोगे खुद को जान।
ऐरे गैरे हम नहीं,जिंदा हिंदुस्तान ।।5।।
रोते रोते सीखना,है जो तुमको गान।
आंखें मेरी देखना,पूरा अनुसंधान।। 6।।
जिसने समझा वक्त पर, यहाँ वक्त का मोल।
उसे बनाया वक्त ने, दुनिया में अनमोल।। 7।।
✍️ त्यागी अशोका कृष्णम्
कुरकावली, संभल
उत्तर प्रदेश, भारत
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