सोमवार, 23 जनवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार वीरेंद्र सिंह बृजवासी का गीत ....मैं संसद से उठ आया हूँ


मैं  संसद   से    उठ  आया   हूँ 

सबकी  आँख  खोल  आया  हूँ 

गुरुओं  का आशीष  पिता   की

सीख   स्वयं   देकर  आया   हूँ।

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बोली  माँ   मत   दूध   लजाना

सच का  केवल  साथ  निभाना

और  पिता   ने  यह   बतलाया

कभी  पराया  धन  मत  खाना

बचपन  से   सुनता  आया   हूँ।

मैं संसद से..............


झूठों   से   नफरत   कर   लेना

सच की  दौलत  तुम  भर  लेना

जिसे  न  पूरा  कर  पाओ  तुम 

ऐसा   वादा   कर    मत   लेना

जीवन   में   गुनता  आया   हूँ।

मैं संसद से..............


सब  धर्मों   का  आदर  करना

जात-पात  से  बचकर   रहना

कोई   कितना   भी   समझाए

मानवता   से    रिश्ता   रखना 

यही  भाव   बुनता  आया   हूँ।

मैं संसद से...............


खद्दर  की   पौषाक    पहनना 

वोटर  को  भगवान   समझना

वह  जो   काम  बताएं  तुमको 

उसको   पूरे  मन   से    करना 

ऐसा   ही   करता    आया   हूँ।

मैं संसद से.............


रोज़  व्यर्थ  का   रोना - धोना 

पाला   रोज़    बदलते   रहना 

घालमेल   की  इस   संसद में

चाहे जिसको  आका   कहना

भावों  को  चुनता  आया   हूँ।

मैं संसद से......

    

✍️ वीरेन्द्र सिंह "ब्रजवासी"

   मोबाइल फोन नंबर 9719275453

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