शनिवार, 21 जनवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार डॉ पुनीत कुमार की व्यंग्य कविता ...विकास क्या है ....,,?


विकास 

कैसा दिखता है?

कल्पना है

या वास्तविकता है

नाटा है या लंबा

गोरा है या काला

अनजान है

या फिर देखा भाला


विकास क्या है?

इसकी

क्या परिभाषा है?

कोई

खाने की चीज है

या फिर

खेल तमाशा है


शायद विकास

एक स्वादिष्ट गोली है

जिसको नेता

चुनाव से पहले

पब्लिक को खिलाते हैं

और आसानी से

चुनाव जीत जाते हैं


विकास

टी वी चैनलों पर

धड़ल्ले से बिकता है

कोई इस पर कविता

कोई बड़े बड़े

लेख लिखता है


विकास

हर किसी को

दिखता नहीं है

किसी छोटे या

बड़े स्टोर पर

मिलता नहीं है

इसकी

ऑनलाइन डिलीवरी

नहीं हो रही है

किसी मशीन में

मैन्युफैक्चरिंग

नहीं हो रही है


कुछ खास लोग ही

विकास को

महसूस कर पाते हैं

और चमचे

आंख बंद कर

उनकी हां में हां

मिलाते हैं


विकास को लेकर

सबका अलग विचार है

फुटपाथ पर

रहने वाले के लिए

विकास

सूखी रोटी के साथ 

अचार है

जिनके पास

हर तरह की

सुख सुविधा है

उनके मन में

बड़ी दुविधा है

उनको विकास का

आभास तभी होता है

जब कोई मजबूर

उनके आगे

गिड़गिड़ाता या रोता है


जैसे जैसे

समय आगे बढ़ा है

विकास का भी

विकास हो गया है

उसकी कहानी को

मिल गया है

नया कथानक

बदल चुके हैं

सभी मानक

मंदिर,मस्जिद,

चर्च, गुरुद्वारा

अब विकास

आंका जाने लगा है

इनके द्वारा 


✍️ डॉ पुनीत कुमार

T 2/505 आकाश रेजीडेंसी

मुरादाबाद 244001

M 9837189600

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