गुरुवार, 5 जनवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार धन सिंह धनेंद्र की लघु कथा - "मस्ती और नशा"

   


वह दूर दूर तक बिखरी अपनी मटर, आलू ,प्याज साग, सब्जियां बटोर रहा था। काफी सब्जियां तो आने जाने वाली कारों गाड़ियों के पहियों से कुचल चुकी थीं। बीच में वह बार-बार अपने आंसू भी पोंछता जा रहा था। एक तरफ उसका ठेला टूटा और उल्टा पडा़ था। उसके हाथ और चेहरे पर आई चोटें भी साफ दिखाई दे रही थी, जिसमें से खून रिस रहा था। कुछ लोग उसकी वीडियो बनाने में लगे थे। घुमंतु यू -ट्यूबलर भी आ पहुंचे जबरदस्ती उसका इंटरव्यू लेने और वीडियो बनाने लगे । एक दो राहगीर उसकी मदद करने को आगे आये,सब्जी बटोरने में मदद करने लगे। 

   धीरे-धीरे खाली सड़क पर तमाशा देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी थी। कहने को कुछ भी नहीं हुआ था। नये साल की मस्ती और नशे में डूबे रईसज़ादों की औलादों की तेज रफ्तार महंगी कार के सामने सब्जी वाला अपना ठेला लेकर आ धमका था।

     लड़के तो नये साल की अपनी मस्ती और नशे में थे, गलती तो गरीब परिवार के इकलौते सब्जी बेचने वाले की थी।

✍️ धनसिंह 'धनेन्द्र'

चन्द्र नगर, मुरादाबाद 

उत्तर प्रदेश, भारत


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