मंगलवार, 31 जनवरी 2023

मुरादाबाद के साहित्यकार (वर्तमान में दिल्ली निवासी) आमोद कुमार की ग़ज़ल.....बेझिझक हंसी वो, बोलती आंखें भी, सम्हाल कर रखो इन्हें, प्यार के सरमाए हैं.


ये शऊर, ये  सादगी आप जो लेकर आए हैं, 

किस जगह मिलते हैं ये, कहाँ से आप पाए हैं.


अभी अभी एक कारवां चांद की रहनुमाई मे, 

बादलों मे छुप गया, आप से शरमाए हैं.


बेपनाह हुस्न ये, गज़ब का खुलूस भी, 

दिल खुश तो हो गया मगर आंसू निकल आए हैं.


बेझिझक हंसी वो, बोलती आंखें भी, 

सम्हाल कर रखो इन्हें, प्यार के सरमाए हैं.


आंसुओं से जो लिखा, एक गीत तुमने गा दिया, 

मुद्दत के बाद किसी के लव आज मुस्कुराए हैं.


"आमोद" प्यार से यहाँ, महरूम जो रह गए

मुश्किल से सांस जिस्म से अपनी जोड़ पाए हैं.

✍️ आमोद कुमार

दिल्ली

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