नहीं भरोसा बचा सुहाने सपनों पर
जो कुछ दिन पहले दिखलाए थे
इससे बेहतर यही रहेगा प्यारे बंधु
माज़ी ही मेरा मुझको वापस कर दो
धर्मप्राण भक्तों से है करबद्ध निवेदन
बहुत हो गयीं दीन धरम की चर्चाएँ
छोड़ो अब मस्जिद और मंदिर के मसले
यही समय है दुखियारों की पीड़ा हर लो
कैसा मंज़र ! जूझ रहा है देश इस समय
अनदेखे से घातक एक विषाणु से
जो भी सीमित संसाधन हैं अपने बस में
जिसे ज़रूरत है उस की झोली में भर दो
नहीं दिखायी देते हैं वो कठिन समय में
जिन्हें बिठाया था तुमने पलकों पर अपनी
शब्दहीन छिप कर बैठे हैं कहीं सुरक्षित
कायनात देखेगी उनसे तुम इतना ही कह दो
अर्जुन बन जाओ अपना गांडीव सम्भालो
ठोस कदम ही लेने होंगे सबकी ख़ातिर
संकट के पल में खुद को मज़बूत बनाओ
रहो सुरक्षित घर से बीमारी को धक्का दे दो.
✍️ प्रदीप गुप्ता
B-1006 Mantri Serene
Mantri Park, Film City Road , Mumbai 400065
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