शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार दुष्यन्त बाबा की रचना ----क्षमा याचना पूजा अर्चन करबद्ध यही वंदन है विपत्ति को हरो हरि मेरा यही करुण क्रंदन है


 *तेरा साधक*

जीवन देने वाले क्यों मौत बांटता घर-घर में

तेरे नाम ज्योति जलाते तेरी श्रद्धा हर घर में

अपनी सृष्टि को समझ खिलौना खेल रहा है

क्यों एक के दोष को सारा जगत झेल रहा है

तू रुलाए अपने मानव को ऐसा तेरा स्तर है?

यदि सच में ऐसा हो तो ईश नही तू पत्थर है

पुत्र गलतियां  करता, बनती थोड़ी डॉट सही

हर गलती की सजा में गले को देते काट नही

माना कि मैं पापी, नीच, प्रकृति  विनाशक हूँ

तेरी सत्ता का सौदाई बन बैठा यहाँ शासक हूँ

तू ही तो कहता कर्मयोग में अच्छा या बुरा कर

फिर क्यों भ्रम में डाल रहा फलयोग भुलाकर

तूने ही बनाई नियति जिस पर चलना सबको

फिर मेरा दोष कहाँ,जो आंख दिखाता मुझको

क्षमा याचना पूजा अर्चन करबद्ध यही वंदन है

विपत्ति को हरो हरि मेरा यही करुण क्रंदन है।

✍️ दुष्यन्त ‘बाबा’, पुलिस लाइन, मुरादाबाद

 मो0-9758000057

 

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