कोरोना के नये दौर में ,
मैं विद्यालय जाऊं कैसे?
बाहर घूम रहा कोरोना,
घर के बाहर आऊं कैसे?
कभी सुनी न और न देखी,
ऐसी नयी कहानी लिख दी।
ब्रह्मा जी ने कभी रची न,
ऐसी अजब निशानी रच दी।।
मास्क लगा सबके ही मुख पर,
अपना मुख दिखलाऊं कैसे ?
बाहर घूम रहा कोरोना,
घर के बाहर आऊं कैसे??
हवा विषैली हो जाये तो,
हम तुम सांसें कैसे लेंगे .?
कटे वृक्ष धरती से कितने,
प्राण वायु फिर कैसे देंगे ?
घायल होती हरियाली में,
पर्यावरण बचाऊं कैसे?
बाहर घूम रहा कोरोना,
घर के बाहर आऊं कैसे??
बन्द हुए हैं विद्यालय सब,
किंतु फीस फिर भी बढ़ती हैं।
लाक डाउन के नये दौर में,
ओनलाइन क्लासें चलतीं हैं।।
दोस्त सभी अब छूट चुके हैं,
फिर से दोस्त बनाऊं कैसे ?
बाहर घूम रहा कोरोना,
घर के बाहर आऊं कैसे ?
कर के दया प्रभु परमेश्वर,
चमत्कार अब तो दिखला दो।
महामारी से त्रस्त हुए सब,
हे प्रभु इस को दूर भगा दो।।
छोड़ तुम्हारे चरणों को मैं ,
द्वार दूसरा पाऊं कैसे ?
बाहर घूम रहा कोरोना,
घर के बाहर आऊं कैसे ?
✍️ अशोक विद्रोही
412, प्रकाश नगर, मुरादाबाद
मोबाइल फोन 82 188 25 541
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