एक बार फिर
दुनिया के सबसे बड़े
प्रजातांत्रिक देश में
चुनाव बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से
सम्पन्न हो रहे हैं।
बिल्कुल मरघट सी शांति .....!!
सड़कों पर पसरा सन्नाटा
मृत्यु का अट्टहास!
डरते लोगों को और डराया जायेगा
मरने पर ही तो मरहम लगाया जायेगा।
फक्क पड़े चेहरे...!!
बोझिल कदम
तपते बदन...
चुनाव पेटियों के साथ
जा रहे हैं अपने गंतव्य को..
शायद ये उनका अंतिम गंतव्य हो।
कोई और विकल्प बचा ही कहाँ है?
जान और माल दोनो के बीच
अपनी जान दाँव पर लगा दी है।
रोजी रही ,तभी तो रोटी भी मिलेगी।
क्योंकि राजनीति का गंतव्य भी
तो यही है।
मौत के आगोश में सिमटकर
अच्छे दिन और भी खूबसूरत लगने लगेंगे।
✍️ मीनाक्षी ठाकुर
मिलन विहार, मुरादाबाद
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