गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

मुरादाबाद के साहित्यकार स्मृतिशेष बहोरन सिंह वर्मा प्रवासी का गीत ---- उनका यह गीत लगभग 54 साल पहले प्रकाशित गीत संकलन 'उन्मादिनी' में प्रकाशित हुआ था। यह संग्रह कल्पना प्रकाशन , कानूनगोयान मुरादाबाद द्वारा सन 1967 में शिवनारायण भटनागर साकी के संपादन में प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह में देशभर के 97 साहित्यकारों के श्रृंगारिक गीत संग्रहीत हैं। इसकी भूमिका लिखी है डॉ राममूर्ति शर्मा ने


 

कैसे तेरी छवि मद का स्वागत करूं 


किसने छेड़े तार हृदय की बीन के ।

किसने छेड़ी आज प्रणय की रागिनी ।।

कैसे बाँधू मुक्त केश - घन पाश में, 

कैसे तेरे नयनों की मदिरा  पियूँ। 

कैसे वारूँ उर अलि तब मुख कंज पर, 

कैसे तब अधरामृत पी युग-युग जियूँ।।

कैसे तेरी स्नेह वृष्टि स्वीकृत करूँ।

 मेरा उपवन ताक रही है दामिनी ।। किसने......


मेरा नन्दन आज विभा से रिक्त है, 

शूल मयी हैं सब सुमनों की क्यारियाँ, 

नहीं सुरभि के मादक झोंके हैं कहीं, 

उड़ती हैं केवल विषमय चिंगारियाँ ।। 

कैसे वारूँ सुमन मराली चाल पर, 

फिरती है उन्मुक्त विषमता नागिनी ।। किसने......


वैशाली की माँग अभी सूनी पड़ी, 

मिले धूल में रो-रो पटना के भवन । 

पुलिनों के दृग पंथ किसी का देखते, 

सूखे अब तक नहीं वीचियों के नयन | 

कैस तेरी छवि-मद का स्वागत करूँ ।

विधुरा है सम्प्रति सुरसरि उन्मादिनी ।। किसने .....


✍️ बहोरन सिंह वर्मा प्रवासी


:::::::::प्रस्तुति:::::::::

डॉ मनोज रस्तोगी

8, जीलाल स्ट्रीट

मुरादाबाद 244001

उत्तर प्रदेश, भारत

मोबाइल फोन नम्बर 9456687822

1 टिप्पणी:

  1. शिव नारायण भटनागर साकी कहते है ---

    Kaise chedu Bahut sndr rachna Ye rachna unse vayaktigat roop se apne ghr pr sun chuka hoon Unki aawaj kano me goonj gai Sadr namn

    जवाब देंहटाएं