मुरादाबाद की साहित्यिक संस्था "हिन्दी साहित्य संगम" की ओर से रविवार 4 अप्रैल 2021 को गूगल मीट पर काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ. रीता सिंह द्वारा प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार ओंकार सिंह 'ओंकार' ने की जबकि मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवयित्री डॉ. मीना कौल रहीं। संचालन राजीव प्रखर ने किया।
कार्यक्रम में ओंकार सिंह ओंकार ने अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति इस प्रकार की -
तपाकर ख़ुद को सोने -सा निखरना कितना मुश्किल है ।
ख़ुद अपनी ज़िंदगी पुरनूर करना कितना मुश्किल है ।।
है आसाँ ख़ून से अपनी इबारत आप ही लिखना, मुकम्मल शेर में अपने उतरना कितना मुश्किल है ।।
महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. मीना कौल ने अपनी अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार की -
घर मेरे लाना सब मिल कर।
फूल प्रेम के चुन- चुन कर।
संग अपने लाना खुशबू जरा,
रंग मुझे चाहिए सपनों भरा।
वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ. मनोज रस्तोगी का कहना था -
सुन रहे यह साल आदमखोर है।
हर तरफ चीख, दहशत शोर है।
मत कहो वायरस जहरीला बहुत,
आदमी ही आजकल कमजोर है।
कवि अटल मुरादाबादी का कहना था -
मोहन की छवि भाय रही अति गोकुल ग्वाल हुए बलिहारी।
सोहनि सूरत मोहनि मूरत मोहन की छवि है अति प्यारी।
नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का कहना था - पुष्प ने तो नित्य भँवरों को लुभाया,
प्यार अपना तितलियों पर भी लुटाया।
कल्पना थी तूलिका थी रंग भी थे,
खुशबुओं का चित्र फिर भी बन न पाया।
युवा कवि राजीव 'प्रखर' ने अपनी अभिव्यक्ति कुछ इस प्रकार की-
दिलों से दूरियाँ तज कर, नये पथ पर बढ़ें मित्रोंं।
नया भारत बनाने को, नयी गाथा गढें मित्रोंं।
खड़े हैं संकटों के जो, बहुत से आज भी दानव,
सजा कर श्रंखला सुदृढ़, चलो उनसे लड़ें मित्रोंं।
डॉ. रीता सिंह ने कुछ इस प्रकार कहा -
कुछ धानी कुछ पीत वर्ण की पहने बाली कनक - क्यार।
आम्र डाल पर झूमे म॔जरी कोकिल गाए बसंत बहार।
जितेन्द्र जौली ने कुछ यूँ कहा -
देख चुनावी दर जो, लगा बांटने नोट।
उसे कभी मत दीजिए, अपना कीमती वोट।।
इसके अतिरिक्त प्रशांत मिश्रा, इंदु रानी, नजीब सुल्ताना आदि ने भी अपनी प्रस्तुति दी। जितेन्द्र जौली ने आभार अभिव्यक्त किया ।
सभी का हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंसराहनीय आयोजन ।सभी रचनाकारों ने शानदार रचनाएँ प्रस्तुत कीं । संचालन भी शानदार रहा ।
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