शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

मुरादाबाद जनपद के मूल निवासी साहित्यकार स्मृतिशेष डॉ कुंअर बेचैन का गीत ----बदरी ! बाबुल के अँगना जइयो ..... यह गीत उन्होंने जुलाई 1978 में लिखा था ।

 


बदरी !

बाबुल के अँगना जइयो

जइयो, बरसियो, कहियो,

कहियो कि हम हैं तोरी, बिटिया की अँखियाँ


काँटे-बिंधी है

मोरे मन की मछरिया

मरुथल की हिरनी है गयी

सारी उमरिया

बिजुरी !

मैया के अँगना जइयो 

जइयो, बरसियो, कहियो

कहियो कि हम हैं तोरी बिटिया की सखियाँ |


अब के बरस राखी

भेज न पाई

सूनी रहेगी

मोरे वीर की कलाई

पुरवा

भैया के अँगना जइयो 

छू -छू कलाई कहियो

कहियो कि हम हैं तोरी बहना की रखियाँ।


✍️ डॉ कुंअर बेचैन

1 टिप्पणी: