बदरी !
बाबुल के अँगना जइयो
जइयो, बरसियो, कहियो,
कहियो कि हम हैं तोरी, बिटिया की अँखियाँ
काँटे-बिंधी है
मोरे मन की मछरिया
मरुथल की हिरनी है गयी
सारी उमरिया
बिजुरी !
मैया के अँगना जइयो
जइयो, बरसियो, कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बिटिया की सखियाँ |
अब के बरस राखी
भेज न पाई
सूनी रहेगी
मोरे वीर की कलाई
पुरवा
भैया के अँगना जइयो
छू -छू कलाई कहियो
कहियो कि हम हैं तोरी बहना की रखियाँ।
✍️ डॉ कुंअर बेचैन
हार्दिक श्रद्धांजलि
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